कांग्रेस ने एक अंतरराष्ट्रीय ऑडिटर की राय का हवाला देते हुए बुधवार को दावा किया कि अगर अदाणी समूह की नजर में सबकुछ ठीक है तो आरोपों की जांच में किसी स्वतंत्र इकाई को शामिल क्यों नहीं किया गया। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह कहने के साथ ही दावा भी किया कि दाल में कुछ तो काला है।
अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में अदाणी समूह पर वित्तीय अनियमितता के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद से कांग्रेस लगातार इस मामले को उठाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग कर रही है।
अदाणी समूह ने सभी आरोपों को खारिज किया है। रमेश ने बुधवार को एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, “ऑडिटर ‘डेलॉइट हास्किन्स एंड सेल्स’ स्पष्ट रूप से अदाणी के खोखले “क्लीन चिट” के दावों को नहीं मान रहा है, यहां तक कि सेबी की भी जांच जारी है। इसने कहा है कि तीन संस्थाओं के साथ अदाणी पोर्ट्स के लेन-देन को असंबंधित पार्टियों के साथ नहीं दिखाया जा सकता है और इसीलिए इसने कंपनी के खातों पर “क्वालिफाइड ओपिनियन” (प्रमाणित राय) जारी की है। इसमें आगे कहा गया है कि अदाणी ने “एक स्वतंत्र बाहरी जांच करवाने से इंकार कर दिया है।”
उनका कहना है, ‘‘ऐसे में सवाल उठता है कि अडाणी पोर्ट्स क्या छुपा रहा है? दावे के अनुसार यदि सब कुछ ठीक है तो आपने ऑडिटर की चिंताओं को दूर करने के लिए एक स्वतंत्र इकाई को जांच में शामिल क्यों नहीं किया? दाल में कुछ तो काला है।’’