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छोटे और मझोले शहरों का रुख कर रहीं कंपनियां, रियल एस्टेट क्षेत्र में भारी निवेश

सस्ती जमीन और कनेक्टिविटी में सुधार से बढ़ा छोटे शहरों का आकर्षण

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अनीका चटर्जी   
Last Updated- April 14, 2024 | 11:38 PM IST

तेजी से हो रहे शहरीकरण और महानगरीय इलाकों में भूमि के अभाव के मद्देनजर रियल एस्टेट डेवलपर तेजी से छोटे एवं मझोले शहरों की ओर रुख करने लगे हैं। भूमि की कम लागत, वृद्धि की संभावनाएं और कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए सरकार की पहल जैसे कारक रियल एस्टेट कंपनियों को महानगरों के इतर विस्तार के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

मुंबई की रियल एस्टेट फर्म इंडियालैंड ग्रुप ने कहा कि बुनियादी ढांचे में तेजी से विकास कारोबारियों को छोटे एवं मझोले शहरों की ओर रुख करने के लिए आकर्षित कर रहा है।

इंडियालैंड ग्रुप के चेयरमैन हरीश फैबियानी ने कहा, ‘प्रॉपर्टी की कम लागत भी उसे अधिक रिटर्न एवं विविधीकरण की चाहत रखने वाले निवेशकों के लिए आकर्षक बनाती है। छोटे शहरों में विकास की रफ्तार सुस्त होने के कारण प्रॉपर्टी की कीमत अभी भी अपेक्षाकृत कम है। साथ ही भूमि एवं निर्माण सामग्री की लागत भी छोटे शहरों में अपेक्षाकृत कम होती है। ऐसे में दीर्घकालिक निवेशकों के लिए छोटे एवं मझोले शहरों में आकर्षक रिटर्न का अवसर दिखता है।’

इंडियालैंड ग्रुप अगले कुछ वर्षों में रियल एस्टेट क्षेत्र में करीब 700 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बना रहा है। इस साल कंपनी ने करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। फैबियानी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इनमें से कुछ प्रॉपर्टी आधुनिक रियल एस्टेट और विशेष तौर पर पर्यावरण के अनुकूल मकान बनाने संबंधी परियोजनाओं में निवेश करने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए पर्याप्त अवसर पैदा करेंगी।’

बेंगलूरु के बीसीडी ग्रुप ने कहा कि रायपुर और लखनऊ जैसे छोटे शहरों में कंपनी के कारोबार ने पर्याप्त मांग दर्ज की है। ये मांग खासकर प्लॉटों की बिक्री के लिए है। इसी वजह से 2023 के दौरान आय में 60 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।

रियल एस्टेट निवेश प्लेटफॉर्म आर्बर इन्वेस्टमेंट्स ने भी छोटे एवं मझोले शहरों को डेवलपरों के लिए छोटे एवं मझोले शहरों को आकर्षक बताया। उसका कहना है कि छोटे एवं मझोले शहरों में उपयुक्त बुनियादी ढांचे की योजना, कम लागत, दमदार किराया आय और कनेक्टिविटी में सुधार जैसे कारक डेवलपरों के लिए फायदेमंद दिख रहे हैं।

आर्बर इन्वेस्टमेंट्स के संस्थापक तेजस पाटिल ने कहा, ‘अधिकतर सड़क नेटवर्क, रेल नेटवर्क अथवा पारेषण नेटवर्क छोटे एवं मझोले शहरों तक पहुंच रहे हैं। सरकार इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को बेहतर करने के लिए तमाम परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है। इसके अलावा मैं समझता हूं कि लागत के मोर्चे पर भी छोटे शहरों में जबरदस्त फायदा है।’

गार्डियंस रियल एस्टेट एडवाइजरी ने कहा कि जमीन की कम लागत और बेहतर बुनियादी ढांचे के अलावा अटकी मांग भी बाजार के विस्तार के लिए महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करती है। गार्डियंस रियल एस्टेट एडवाइजरी के निदेशक राम नाइक ने कहा, ‘महानगरीय इलाकों के मुकाबले छोटे एवं मझोले शहरों में भूमि की कम लागत, बुनियादी ढांचे का निर्माण और शहरीकरण उसे निवेश के लिहाज से आकर्षक बनाते हैं। इन क्षेत्रों में अटकी मांग डेवलपरों को उभरते बाजारों में पूंजी लगाने और अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है।’

सलाहकार फर्म ने कहा कि भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र का परिदृश्य काफी सकारात्मक और आक्रामक बना हुआ है। नाइक ने कहा, ‘जबरदस्त मांग, शहरी विकास के लिए सरकारी पहल और अनुकूल आर्थिक स्थिति के दम पर यह क्षेत्र दमदार वृद्धि के लिए तैयार है। डेवलपरों से उम्मीद की जाती है कि वे इस अवसर को भुनाएंगे।’

अनंत राज लिमिटेड मुख्य तौर पर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करती है। मगर उसने कहा है कि कंपनी शहरों के बाहरी इलाकों में रहने वाले औद्योगिक कामगारों के लिए गुणवत्तायुक्त आवास उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।

कंपनी के सीईओ अमन सरीन ने कहा, ‘इस बात पर गौर करते हुए कि अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र शहरी केंद्रों के बाहर स्थित हैं, हमने औद्योगिक श्रमिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए राजस्थान के नीमराणा में एक किफायती रिहायशी परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया है। आंध्र प्रदेश के तिरुपति में एक अन्य परियोजना कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों के जीवनयापन की दशा को बेहतर करने की दिशा में उठाया गया एक अन्य कदम है।’

वाणिज्यिक प्रॉपर्टी डेवलपरों के लिए व्यापार एवं निवेश की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने वाला संगठन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूटीसीए) ने हाल में कहा था कि बढ़ती जरूरतों और मांग के बीच भारत में भविष्य का विस्तार छोटे एवं मझोले बाजारों में अधिक होगा।

डब्ल्यूटीसीए के उपाध्यक्ष (एशिया-प्रशांत) स्कॉट वांग ने कहा, ‘पिछले दशक के दौरान भारत इस संगठन के लिए सबसे तेजी से उभरते बाजारों में शामिल रहा है। इस बाजार में वाणिज्यिक रियल एस्टेट सुविधाओं के लिए बढ़ती मांग और वैश्विक कनेक्टिविटी में सुधार के मद्देनजर हमारा मानना है कि यह रफ्तार अभी बरकरार रहेगी। हमें विश्वास है कि भारत में हमारी सदस्यों की संख्या अगले पांच वर्षों में बढ़कर 50 हो जाएगी। इससे आय एवं निवेश में 20 फीसदी का इजाफा होगा।’

First Published : April 14, 2024 | 11:05 PM IST