प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने कोयले के उत्पादन में ऐतिहासिक गिरावट एक माह और जारी रहने की आशंका जताई है। देश में कोयले के सबसे बड़े खनक कोल इंडिया के उत्पादन में भारी बारिश और भूमि के मुद्दों के कारण उत्पादन में कमी आई है। कंपनी का इस वित्तीय वर्ष में अभी तक बीते वर्ष की तुलना में इस अवधि में उत्पादन 6 प्रतिशत गिरा है। कंपनी की बीते पांच वर्ष की तुलनात्मक अवधि (अप्रैल-जुलाई) में ऐसी पहली गिरावट है।
कोल इंडिया देश के घरेलू कोयला उत्पादन की 80 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करती है। इनमें बिजली, सीमेंट और स्टील की बिजली जरूरतें भी शामिल हैं। वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगस्त में बारिश कम होने के कारण कोयले का उत्पादन जोर पकड़ने लगा है। यदि यह जारी रहता है तो संभवत: सितंबर आखिर तक सीआईएल नकारात्मक रुझान को समाप्त करने की उम्मीद रखती है और सकारात्मक वृद्धि को मजबूती मिलेगी।’
कंपनी ने अप्रैल-जुलाई 2025 में बीते साल की इस अवधि की तुलना में 5.9 प्रतिशत कम 2,298 लाख टन कोयले का उत्पादन किया था जबकि कंपनी ने बीते साल की इस अवधि में 2,443 लाख टन कोयले का उत्पादन किया था। खनन करने वाली कंपनी ने बताया कि जून 2025 में कंपनी ने रोजाना प्रति दिन 19 लाख टन कोयले का उत्पादन किया था जबकि जून 2024 में 21 लाख टन रोजाना कोयले का उत्पादन किया था। दरअसल, पहले आए और जबरदस्त मॉनसून के कारण खनन की गतिविधियां बाधित हुई थीं।
अधिकारी ने बताया, ‘इस वित्तीय वर्ष में बीते वर्ष की तुलना में खनन क्षेत्रों में बारिश कहीं अधिक हुई थी। ऊपर से जमीन के मुद्दों ने उत्पादन के संकट को और बढ़ा दिया था।’कोल इंडिया के उत्पादन में खुली खान से उत्पादन की हिस्सेदारी करीब 95 प्रतिशत है। इससे मौसम संबंधित बाधाएं बढ़ जाती है। अधिकारी ने बताया, ‘प्राथमिक तौर पर मॉनसून पूर्व के खराब दौर से कोयला उत्पादन में बाधा आई। हालांकि कोयले की कोई कमी नहीं थी और इसकी पर्याप्त उपलब्धता थी। कंपनी को भरोसा है कि वह कोयले की बढ़ती हुई मांग को पूरा कर लेगी।’
कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 26 में 1.15 अरब टन कोयले के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है और यह बीते वर्ष के 1.048 अरब टन उत्पादन से 10 प्रतिशत अधिक है। हालांकि वर्ष 2025-26 के जुलाई अंत के रुझान दर्शाते हैं कि प्रमुख सार्वजनिक कोयले उत्पादकों के उत्पादन में 6 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि राज्य स्तर पर 3.6 प्रतिशत गिरावट आई। हालांकि कैप्टिव और निजी कोयले उत्पादकों के उत्पादन में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।