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Chandrayaan-3 ने दी उड़ान: कमर्शियल सैटेलाइट लॉन्च बिजनेस में बड़ा दांव लगाएगी प्राइवेट कंपनी L&T

L&T ने 1979 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के शुरुआती एसएलवी रॉकेटों के लिए सहयोग किया था। उसके करीब साढ़े चार दशक बाद अब यह खबर आई है

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शाइन जेकब   
Last Updated- August 27, 2023 | 9:49 PM IST

चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक और सफल चहलकदमी में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के बाद प्रमुख इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी)
वा​णि​ज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण कारोबार में अपनी पैठ बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। कंपनी ने स्वीकार किया है कि वह लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी) के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की बोली में हिस्सा लेने की योजना बना रही है। इसके अलावा कंपनी ने एक कंसोर्टियम का हिस्सा बनकर ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) बनाने के लिए 860 करोड़ रुपये का ठेका पहले ही हासिल कर लिया है।

एसएसएलवी के लिए बोली पहला मौका है, जब कोई अंतरिक्ष एजेंसी प्रक्षेपण यान की पूरी प्रौद्योगिकी निजी क्षेत्र को सौंप देगी। कई देशों में काम करने वाली इंजीनियरिंग, खरीद तथा निर्माण (ईपीसी) दिग्गज एलऐंडटी सूर्य को ओर जाने वाले भारत के महत्त्वाकांक्षी आदित्य एल1 अभियान और मनुष्य को अंतरिक्ष ले जाने वाले गगनयान अभियान में भी योगदान को तैयार है।

कंपनी ने 1979 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के शुरुआती एसएलवी रॉकेटों के लिए सहयोग किया था। उसके करीब साढ़े चार दशक बाद अब यह खबर आई है। एलऐंडटी एसएसएलवी के लिए बोली की होड़ में मजबूत दावेदार है। कंपनी को यह प्रौद्योगिकी मिल गई तो वह अलग प्रक्षेपण संयंत्र के बजाय कम खर्च वाले मोबाइल लॉन्चर लगाने की उसकी योजना है। बोली में करीब 20 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। उधर पीएसएलवी का प्रक्षेपण इसरो के मौजूदा लॉन्च पैड से ही होता रहेगा। पीएसएलवी कंसोर्टियम में दूसरी भागीदार हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स है और पहला प्रक्षेपण अगले साल होने की उम्मीद है।

इससे पहले एलऐंडटी चंद्रयान-3 अभियान के लगभग हर पहलू में शामिल रही है। उसने सबसिस्टम निर्माण से मिशन ट्रैकिंग तक योगदान किया है। एलऐंडटी के मुख्य कार्या​धिकारी (CEO)  एवं प्रबंध निदेशक (MD) एसएन सुब्रमण्यन ने कहा, ‘चंद्रमा पर पहुंचना इसरो के वैज्ञानिकों की दृढ़ता और संकल्प को बताता है। इस ऐतिहासिक मौके का हिस्सा बनकर हमें गर्व है। देश ने उच्च प्रौद्योगिकी वाले विनिर्माण में हमारी क्षमता पर जो भरोसा किया है, उसके लिए हम आभारी हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकार के आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम की इस सफलता में बड़ी भूमिका है।

इसरो की वा​णि​ज्यिक इकाई भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) ने निजी क्षेत्र को अपनी एसएसएलवी प्रौद्योगिकी देने के लिए जुलाई में अभिरुचि पत्र मंगाए थे। एलऐंडटी अब इस क्षेत्र में पैठ जमाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। एलऐंडटी डिफेंस के प्रमुख एवं कार्यकारी उपाध्यक्ष एटी रामचंदानी ने कहा, ‘हम वह प्रौद्योगिकी हासिल करना चाहते हैं। हम एसएसएलवी बनाना चाहते हैं। हमें लगता है कि छोटे उपग्रहों और उपग्रह समूहों के साथ पृथ्वी की निचली कक्षा तक प्रक्षेपण करने की सेवाओं में काफी संभावनाएं हैं। हमें लगता है कि जब यह यान भी हमारे उत्पादों में शामिल हो जाएगा तो एलऐंडटी के जरिये हम प्रक्षेपण सेवाएं भी उपलब्ध करा सकेंगे।’

अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ने की बड़ी वजह सरकार की नई अंतरिक्ष नीति है। इसके तहत इसरो निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष की पड़ताल करने और बाहरी अंतरिक्ष में मानव की मौजूदगी समेत पूरी मूल्य श्रृंखला में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

First Published : August 27, 2023 | 9:49 PM IST