facebookmetapixel
चार घंटे चली चर्चा के बाद संसदीय समिति को इंडिगो के जवाब से संतोष नहीं, उड़ान रद्द होने पर जांच जारीRBI के नए नियमों से ऐक्सिस फाइनैंस में पूंजी निवेश का रास्ता खुला: अमिताभ चौधरीतीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मार्च तक अपने IPO मसौदे जमा करेंगे, सरकार ने दिए दिशानिर्देशनैशनल हेराल्ड मामले में अदालत के संज्ञान न लेने के बाद खरगे बोले: PM अपने पद से दें इस्तीफाविदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नेतन्याहू से की मुलाकात, भारत-इजराइल साझेदारी को नई मजबूतीप्रधानमंत्री मोदी को मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, भारत-अफ्रीका रिश्तों में नया अध्यायAI के दौर में भी दुनिया भर में मानवीय अनुवाद सेवाओं की मांग में जबरदस्त उछालSEBI ने बदला म्यूचुअल फंड खर्च का खेल, निवेशकों को राहत और AMC को संतुलनWTO में MFN को खत्म करने के अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध करेगा भारत, बहुपक्षीय व्यवस्था पर टकरावमिलावटी पनीर-खोया पर FSSAI सख्त, होटल-रेस्तरां में उपयोग रोकने के दिए निर्देश

महंगाई से प्रभावित हो सकता है नकदी प्रवाह

Last Updated- December 12, 2022 | 2:52 AM IST

आईआईएफएल वेल्थ के संयुक्त मुख्य कार्याधिकारी अनिरुद्ध तापडिय़ा का कहना है कि बाजार में तेजी तरलता से आई है, जिसने वित्तीय परिसंपत्तियों में अपना मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने ऐश्ली कुटिन्हो को बताया कि कम ब्याज दर और कम मुद्रास्फीति वाले परिदृश्य की वजह से इक्विटी में उत्साह बने रहने की संभावना है। संपादित अंश :
इस साल बाजार की गतिविधि से आप क्या समझते हैं?
बाजार की तेजी को तरलता से बढ़ावा मिला है, जिसने वित्तीय परिसंपत्तियों में अपना मार्ग प्रशस्त किया है। पिछले 15 महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी बैलेंस शीट को चार लाख करोड़ डॉलर से बढ़ाकर सात लाख करोड़ डॉलर करते हुए तरलता में तीन लाख करोड़ डॉलर डाले हैं। कम ब्याज दर और कम मुद्रास्फीति वाले परिदृश्य के साथ इक्विटी में उत्साह बने रहने की संभावना है। हालांकि मुद्रास्फीति ऐसा प्रमुख जोखिम है जिस पर नजर रखनी होगी, क्योंकि इससे कम ब्याज दर वाले दौर को खतरा हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप इक्विटी में प्रवाहित होने वाली तरलता पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ कसता है।

इस परिस्थिति में मिड और स्मॉल कैप शेयरों के संबंध में आपकी क्या राय है?
जब बाजार के रुख में सकारात्मक होने के लिए परिवर्तन होता है, तो लार्ज-कैप को बढ़त मिलती हैं। इसके बाद आम तौर पर मिड और स्मॉल कैप आते हैं। निवेशकों को बाजार की तेजी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। इसके बजाय दमदार मूल्यांकन पर उपलब्ध मजबूत दीर्घकालिक विषयों की पहचान करते हुए गहरे मूल्य की तलाश करनी चाहिए।

क्या धनाढ्य निवेशकों के बीच जोखिम लेने वाली धारणा वापस आ गई है?
हमारे ग्राहकों के निवेश के फैसले मुख्य रूप से उनकी परिसंपत्ति आवंटन की रणनीति द्वारा संचालित होते हैं, जो उनके जोखिम प्रोफाइल के साथ-साथ उनके परिसंपत्ति संरक्षण और विकास की जरूरत को ध्यान में रखती है। परिणामस्वरूप जोखिम के लिए यह स्वचालित रूप से समायोजित हो जाता है। विशेष रूप से मौजूदा कम ब्याज दर वाले परिदृश्य में संरचित उत्पादों में रुचि मजबूत बनी हुई है। इसके अलावा प्री-आईपीओ निवेश करने में भी रुचि है। हालांकि ऐसे आवंटन आमतौर पर निवेश पोर्टफोलियो के तीन  से पांच फीसदी भाग तक ही सीमित रहते हैं। इसके अलावा कम प्राप्ति वाली परिस्थिति में निवेशक निश्चित रूप से बेहतर जोखिम-समायोजित प्रतिफल की तलाश कर रहे हैं। निवेश के ये फैसले पोर्टफोलियो के नजरिये से किए जाते हैं। जोखिम बर्दाश्त कर सकने वाले निवेशक क्रेडिट रिस्क फंड और निजी इक्विटी में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ऐसे आवंटन आम तौर पर पोर्टफोलियो के पांच फीसदी भाग से अधिक नहीं होते हैं।

क्या धनाढ्य निवेशक अधिकाधिक वैश्विक पोर्टफोलियो बनाना चाह रहे हैं? इस बदलाव की क्या वजह है?
भारत में धनाढ्य व्यक्तियों ने वैश्विक परिसंपत्ति में निवेश करने की प्रवृत्ति दिखाई है। वैश्विक निवेश का आकर्षण मुख्य रूप से उन विविधीकरण लाभों से उपजा है, जो ये निवेश प्रदान करते हैं। निवेशक वैश्विक स्तर पर उपलब्ध नवोन्मेषी निवेश विषयों से लाभ उठा सकते हैं और रुपये में गिरावट से अपने पोर्टफोलियो की आंशिक रूप से हेजिंग कर सकते हैं। वर्ष 2010 से 2020 के बीच संपूर्ण सेंसेक्स रिटर्न लगभग 136 प्रतिशत था, जबकि एसऐंडपी 500 ने 190 प्रतिशत सृजित किया। भारतीय रुपये ने इस दशक की शुरुआत प्रति डॉलर 46.53 की दर से की थी और दशक का समापन प्रति डॉलर 71.38 दर पर हुआ था। इस 10 साल की अवधि में भारतीय रुपये मुकाबले डॉलर में लगभग 53 फीसदी की मजबूती आई। आपके एसऐंडपी 500 निवेश पर डॉलर के बढऩे की वजह से संपूर्ण प्रतिफल 400 प्रतिशत के करीब होगा।
पिछले वर्ष के दौरान हमने धनाढ्य लोगों में लंदन, दुबई और न्यूयॉर्क में घर खरीदने और ईबी5, पुर्तगाल तथा माल्टा में आप्रवासन की गतिविधियों की अत्यधिक रुचि देखी है।

डिजिटलीकरण ने परिसंपत्ति प्रबंधन कारोबार को किस तरह बदल दिया है, खास तौर पर इस वैश्विक महामारी के परिणामस्वरूप?
हम डिजिटलीकरण के पक्ष में आमने-सामने की बातचीत को नहीं त्याग सकते। अलबत्ता डिजिटलीकरण ग्राहकों के लिए पोर्टफोलियो विश्लेषण और परिज्ञान निर्बाध रूप से उपलब्ध कराने में महत्त्वूपर्ण भूमिका निभा रहा है। डिजिटलीकरण से निवेशक पोर्टफोलियो में गहराई तक उतर सकते हैं और बताए गए फैसले लेने के लिए सूक्ष्म परिदृश्य प्राप्त कर सकते हैं।

First Published - July 9, 2021 | 11:41 PM IST

संबंधित पोस्ट