facebookmetapixel
Vedanta Share पर ब्रोकरेज बुलिश, शेयर में 35% उछाल का अनुमान; BUY रेटिंग को रखा बरकरारGST कटौती के बाद खरीदना चाहते हैं अपनी पहली कार? ₹30,000 से ₹7.8 लाख तक सस्ती हुई गाड़ियां; चेक करें लिस्टविदेशी निवेशकों की पकड़ के बावजूद इस शेयर में बना ‘सेल सिग्नल’, जानें कितना टूट सकता है दाम35% करेक्ट हो चुका है ये FMCG Stock, मोतीलाल ओसवाल ने अपग्रेड की रेटिंग; कहा – BUY करें, GST रेट कट से मिलेगा फायदा2025 में भारत की तेल मांग चीन को पीछे छोड़ने वाली है, जानिए क्या होगा असररॉकेट बन गया सोलर फर्म का शेयर, आर्डर मिलते ही 11% दौड़ा; हाल ही में लिस्ट हुई थी कंपनीटायर स्टॉक पर ब्रोकरेज बुलिश, रेटिंग अपग्रेड कर दी ‘BUY’; कहा-करेक्शन के बाद दौड़ेगा शेयरVeg and Non veg thali price: अगस्त में महंगी हुई शाकाहारी और मांसाहारी थालीफिर से दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत-चीन का होगा दबदबा! अमेरिका को मिलेगी टक्कर?त्योहारी सीजन से पहले Audi India ने दी गुड न्यूज! ₹7.8 लाख तक घटा दी कीमतें, चेक करें नई रेट लिस्ट

Capital Goods: भारतीय कैपिटल गुड कंपनियां दिसंबर तिमाही में आय में मजबूती की दिशा में

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डरों की मदद से भारत में कई पूंजीगत वस्तु कंपनियां मौजूदा समय में अपनी बढ़ती ऑर्डर बुक को पूरा करने में व्यस्त हैं।

Last Updated- January 09, 2024 | 9:51 PM IST
Editorial: Challenges of India's manufacturing sector, over-regulation and the trap of small plants भारत के विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियां, अति नियमन और छोटे संयंत्रों का जाल

विश्लेषकों का कहना है कि भारत की पूंजीगत वस्तु कंपनियों के लिए आय वृद्धि की राह दिसंबर तिमाही में भी मजबूत बने रहने की संभावना है। चुनावी वर्ष में मार्जिन, ऑर्डर गतिविधियों पर अनुमान और निर्यात से जुड़ी मांग पर नजर रखने की जरूरत होगी।

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय ऑर्डरों की मदद से भारत में कई पूंजीगत वस्तु कंपनियां मौजूदा समय में अपनी बढ़ती ऑर्डर बुक को पूरा करने में व्यस्त हैं। सितंबर 2023 तक उनकी संयुक्त ऑर्डर बुक का आकार करीब 8 लाख करोड़ रुपये का था।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों के अनुसार, ऑर्डर बुक में तेजी से तीसरी तिमाही की आय को मदद मिलने की संभावना है।

उन्होंने 5 जनवरी की रिपोर्ट में लिखा, ‘हमें सभी पूंजीगत वस्तु कंपनियों और ज्यादातर ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) कंपनियों का ऑर्डर क्रियान्वयन सालाना आधार पर मजबूत बने रहने की उम्मीद है, क्योंकि उनको पिछली 5-6 तिमाहियों में मजबूत ऑर्डरों से मदद मिली है।’

प्रभुदास लीलाधर के विश्लेषकों का मानना है कि उन्हें उत्पाद/उपभोक्ता कंपनियों का राजस्व सालाना आधार पर 11 प्रतिशत बढ़ने और ईपीसी कंपनियों का राजस्व 19.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है। इन कंपनियों को मजबूत मौजूदा ऑर्डरों के क्रियान्वयन से मदद मिलेगी।

मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषकों का मानना है कि एबिटा मार्जिन के मोर्चे पर रुझान मिला जुला रह सकता है। उनका कहना है, ‘जहां हमें उम्मीद है कि एलऐंडटी, केईसी और कल्पतरू प्रोजेक्ट्स जैसी ईपीसी कंपनियां कम मार्जिन वाली पिछली परियोजनाओं के पूरा होने के कारण मार्जिन में सुस्त सुधार दर्ज करेंगी, वहीं उत्पाद कंपनियां कम आरएम कीमत का लाभ उपयोगकर्ताओं को दे सकती हैं।’

पूरे पूंजीगत वस्तु क्षेत्र के लिए मोतीलाल ओसवाल को कर-बाद लाभ (पीएटी) में सालाना आधार पर 30 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है।

चौथी तिमाही इस साल भारत के आम चुनाव से पहले है। विश्लेषकों का मानना है कि वित्तीय नतीजों के बाद प्रबंधन रुझानों को ऑर्डर संबंधित गतिविधि पर चुनाव-पूर्व प्रभाव के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है। ध्यान दिए जाने वाले अन्य मुद्दों में निर्यात बाजार के रुझान भी शामिल होंगे।

नुवामा के विश्लेषकों ने कहा, ‘वैश्विक मंदी की आशंका के बीच निर्यात को लेकर जोखिम (कुछ खास क्षेत्रों को छोड़कर) की स्थिति है, जबकि निजी पूंजीगत खर्च में तेजी में भी कुछ हद तक विलंब रह सकता है। अनुमान से ज्यादा लंबे समय तक मंदी रहने से नए ऑर्डर और निर्यात मांग, कार्यशील पूंजी, पूंजी आवंटन पर प्रभाव पड़ेगा।’

First Published - January 9, 2024 | 9:51 PM IST

संबंधित पोस्ट