नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने आज बायजूस को कर्ज देने वाली विदेशी कंपनी की याचिका पर फैसला टाल दिया है। विदेशी लेंडर ग्लास ट्रस्ट एलएलसी (Glass Trust LLC) ने आरोप लगाया था कि एडटेक फर्म बायजूस ने उसे कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) से बाहर निकाल दिया था। ग्लास ट्रस्ट ने कहा कि दिवालिया कार्यवाही के लिए बनाई गई कमेटी से उसे अचानक 3 सितंबर को बाहर निकाल दिया गया।
आज सुनवाई के दौरान ग्लास ट्रस्ट के वकील ने NCLT की बेंगलूरु बेंच में दलील दी की CoC की आगे की रोक दी जाए। क्योंकि इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) पंकज श्रीवास्तव के कार्यों ने ट्रिब्यूनल के अधिकार को कमजोर कर दिया है। IRP के पास निर्णय लेने की कोई शक्ति नहीं है। यह कोर्ट के निर्णय लेने की शक्ति है।’
बता दें कि कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) ऐसे लोगों का एक ग्रुप है जो दिवालियेपन की कार्यवाही या दिवाला प्रक्रिया के दौरान कंपनी के कर्जदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
NCLT की जस्टिस के बिस्वाल और जस्टिस मनोज कुमार दुबे की अगुवाई वाली बेंच ने मामले को 11 सितंबर तक के लिए टाल दिया। बेंच ने कहा कि CoC की कार्यवाही को नहीं रोक सकते क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 21 अगस्त को इसके गठन की अनुमति दे दी थी। हालांकि, अगर ग्लास ट्रस्ट चाहे तो वह अलग से याचिका दायर कर सकती है।
NCLT ने कहा कि CoC के गठन की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दी थी। यह याचिका तब दायर हुई है जब बायजू के कर्जदाताओं और बायजूस द्वारा नियुक्त इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (IRP) पंकज श्रीवास्तव के बीच तनाव बढ़ रहा है।
ग्लास ट्रस्ट का दावा है कि IRP पंकज श्रीवास्तव की तरफ से अमेरिकी कर्जदाताओं को एक कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) से बाहर कर दिया गया। उसके इस फैसले से 1.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा इकट्ठा करने के अपने प्रयासों में झटका लगा है। बता दें कि ग्लास ट्रस्ट, कर्जदाताओं के एक कंसोर्डियम को रीप्रेजेंट कर रहा है। ग्लास ट्रस्ट ने Byju’s की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड को 1.2 बिलियन डॉलर का टर्म लोन बी दिया था।
IRP पंकज श्रीवास्तव ने 30 अगस्त को NCLT में याचिका दायर की और तर्क दिया कि Byju’s को कर्ज देने वाले ज्यादातार कर्जदाता मौजूदा समझौतों के तहत अपना बिजनेस राइट्स खो चुके हैं। दिवालिया कार्यवाही में उनके दावे नहीं माने जा सकते हैं। ऐसे में अमेरिकी कर्जदाता को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी और वैलिड लेंडर के रूप में खुद को साबित करने के लिए डॉक्यूमेंट्स पेश करने होंगे।
आज CoC से हटाए जाने के बाद कर्जदाताओं ने कहा, ‘पंकज श्रीवास्तव की हरकतें अभूतपूर्व और पूरी तरह से नाजायज हैं क्योंकि भारतीय दिवाला और दिवालियापन संहिता के इतिहास में किसी भी अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) ने कभी भी वित्तीय लेनदारों से इस परिमाण के दावों को गैरकानूनी तरीके से छीनने का प्रयास नहीं किया है।’
ग्लास ट्रस्ट ने कहा कि विदेश कर्जदाताओं के वाजिब अधिकारों को छीना जा रहा है और यह ‘अवैध’ है।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को Byju’s के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का आदेश दे दिया था। इसने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NVLAT) के 2 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें एड-टेक कंपनी को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के साथ लगभग 158.9 करोड़ रुपये के बकाया निपटान की अनुमति दी गई थी।