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बस जगत में जोर का दौर

Last Updated- December 05, 2022 | 4:27 PM IST

बजट ने देश के लगभग सभी उद्योगों पर असर डाला है, खासतौर पर उत्पाद शुल्क के कम होने के बाद कुछ उद्योग अपने उपभोक्ताओं को मुनाफा पहुंचा रहे हैं, तो कुछ खुद ही इस मुनाफे को भूना रहे हैं। और यही हाल कुछ पूरे देश के बस ऑपरेटरों का है। उत्पाद शुल्क में कमी किए जाने के बाद उन्होंने बसें खरीदने के अपने फैसले को जल्द ही पूरा कर लेने पर विचार किया है। 4 प्रतिशत की उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद उम्मीद है कि सुपर लग्जरी बसों की कीमत में 3 प्रतिशत और कम क्षमता वाली बसों की कीमत में लगभग 5.23 प्रतिशत कमी होने के आसार हैं।
बसों की कीमतों में कमी आने की वजह से इस साल उम्मीद है कि बस ऑपरेट अपने बेड़े में ज्यादा से ज्यादा बसों को शामिल करेंगे। न सिर्फ उत्पाद शुल्क में कटौती, बल्कि चेसिस पर भी कटौती के चतले बसें खरीदने की जल्दी हर बस ऑपरेटर में नजर आ रही है। चेसिस इस्तेमाल करने वाली बसों में सुपर लग्जरी कोच बस लगभग ढाई लाख रुपये, लो फ्लोर बस 1.8 लाख रुपये और सामान्य बस की कीमत 64 हजार रुपये कम हो सकती है। यहां तक की कम क्षमता वाली बस की भी कीमत 35 हजार रुपये तक कम हो सकती है।
वोल्वो इंडिया के दक्षिण एशिया प्रमुख और उपाध्यक्ष, आकाश पांडे का कहना है, ‘उत्पाद शुल्क में कटौती बस ग्राहकों को पहले खरीदने में मदद करेगी।’ अप्रैल-दिसंबर 2006 बनाम 2007 में जहां भारत में बस बाजार 38 प्रतिशत की विकास दर से आगे बढ़ रहा है, वहीं लग्जरी बस का बाजार लो फ्लोर के दम पर बड़े मुनाफे की ओर रुख कर चुका है।
अभी भारत में लग्जरी बस का बाजार प्रति वर्ष 800 से 900 यूनिट का है। ऐसे में वोल्वो 2007-08 के दौरान 120 प्रतिशत की विकास दर से और 2008-09 में 30 प्रतिशत की विकास दर से बाजार में विस्तार करना चाहती है।
आकाश पांडे का कहना है, ‘उत्पाद शुल्क में कटौती ने बस ऑपरेटरों के लिए चयन का विकल्प खोल दिया है। वे ईंधन बचत, पर्यावरण संबंधित और यात्रियों के लिए आराम आदि मुद्दों पर बसों का चुनाव कर रहे हैं।’
उत्पाद शुल्क में 4 प्रतिशत की कटौती और चेसिस इस्तेमाल करने वाली बसों में 10 हजार रुपये की छूट ने बस ग्राहकों जैसे कि टूर ऑपरेटरों को बसें खरीदने में दौड़ का दृश्य बना दिया है।
भारतीय ऑटोमोबाइल मैन्युफेक्चर्स की सोसायटी (एसआईएएम) के महानिदेशक दिलीप चेनॉय का कहना है, ‘सरकार की 63 शहरों में सार्वजनिक परिवहन के लिए जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के साथ उत्पाद शुल्क में कटौती से सार्वजनिक परिवहन की स्थिति में काफी सुधार होगा।’ इसके आगे उनका कहना है, ‘उत्पाद शुल्क में कटौती के चलते लो फ्लोर बसों की संख्या में इजाफा होगा। साथ ही इससे बस के लिए धन मुहैया कराने वाले पूरे उद्योग जगत को भी प्रोत्साहन मिलेगा।’
जब बस जगत तेजी पकड़े हुए है, तो ऐसे में सेकंड हैंड बाजार कैसे पीछे रह सकता है। सुंदरम फाइनैंस कंपनी के प्रबंध निदेशक टी टी श्रीनिवासन राघवन का कहना है, ‘जब नई बसों के बाजार में कीमतों में कटौती का दौर है तो ऐसे में इस्तेमाल बसों के बाजार में भी कीमतें कम होंगी।’

First Published - March 5, 2008 | 6:53 PM IST

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