प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भूषण पावर ऐंड स्टील लिमिटेड के पिछले प्रवर्तक संजय सिंघल ने एनसीएलटी के दिल्ली पीठ में याचिका दाखिल कर कंपनी के परिसमापन के बारे में सर्वोच्च न्यायालय का आदेश लागू करने की मांग की है। 6 मई की याचिका में सिंघल ने एनसीएलटी से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को रिकॉर्ड पर लेने और परिसमापक नियुक्त करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने 2 मई को भूषण पावर को अधिग्रहीत करने की जेएसडब्ल्यू की योजना को खारिज कर दिया था और कर्ज में फंसी कंपनी के परिसमापन का आदेश दिया था। इस कदम से स्टील निर्माता पर वर्षों से चल रहा दिवालियेपन का मुकदमा फिर से शुरू हो गया है जो कि कर्जदाताओं के लिए बड़ा झटका है।
भूषण पावर पर ऋणदाताओं के 47,200 करोड़ रुपये से अधिक बकाया हैं। यह उन 12 कंपनियों में से एक थी जिन्हें 2017 में भारतीय रिजर्व बैंक ने दिवालिया संहिता 2016 के तहत ऋण समाधान के लिए भेजा था। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से लंबी कानूनी लड़ाई का मोर्चा तैयार हो गया है जिसमें ऋणदाताओं और जेएसडब्ल्यू स्टील के अपने हितों के लिए लड़ने की उम्मीद है।
अपने आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि जेएसडब्ल्यू स्टील ने बीपीएसएल के पुराने प्रवर्तकों की किसी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम होने का खुलासा नहीं किया था। समाधान पेशेवर महेंद्र कुमार खंडेलवाल ने इसे अनदेखा किया। अदालत ने कहा कि खंडेलवाल आईबीसी की धारा 25 के तहत अपने वैधानिक कर्तव्य निभाने में विफल रहे, जिसमें धारा 29ए के तहत समाधान आवेदक की पात्रता का सत्यापन भी शामिल है। आईबीसी की धारा 29ए के तहत देनदार कंपनी के पुराने प्रवर्तक और उनके संबंधित पक्षों के साथ-साथ कुछ अन्य व्यक्ति किसी ऋणग्रस्त कंपनी को फिर से खड़ी करने में भागीदार नहीं बन सकते।