भारत बायोटेक इंटरनैशनल (बीबीआईएल) ने एक नया हैजारोधी ओरल टीका (ओसीवी) हिलकॉल पेश किया है। हिलमैन लैबोरेटरीज के साथ मिलकर पेश किए गए इस टीके का लक्ष्य ओसीवी की वैश्विक कमी से निपटने का है। हिलकॉल ऐसे वक्त में पेश किया गया है जब हैजा के मामले और उससे होने वाली मौतों की तादाद लगातार बढ़ रही है।
भले ही हैजा का इलाज है मगर साल 2021 से लगातार इसके मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। साल 2023 के शुरुआत से इस साल मार्च तक दुनिया के 31 देशों में हैजा के 8,24,479 मामले सामने आए हैं और 5,900 लोगों ने इस बीमारी से अपनी जान गंवाई है।
फिलहाल केवल एक कंपनी ही ओसीवी की दुनिया भर में आपूर्ति कर रही है इसलिए सालाना करीब 4 करोड़ खुराक की कमी हो गई है। भारत बायोटेक का नया टीका इसी कमी को दूर करेगा और कंपनी के विनिर्माण संयंत्र में 20 करोड़ खुराक उत्पादन की क्षमता है।
एक से अधिक उम्र के लोगों को पहले दिन और 14वें हिलकॉल की खुराक देनी है। यह सिंगल डोज रेस्प्यूल में उपलब्ध है और इसे 2 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है। टीके को मोनो मल्टीडोज प्रारूप में पेश किया गया है।
टीका पेश करने के दौरान भारत बायोटेक के कार्यकारी चेयरमैन कृष्णा एला ने उस्ताहित होते हुए कहा, ‘हैजा के प्रकोप को रोकने में, कम करने और नियंत्रित करने में टीका काफी प्रभावी होता है। हिलकॉल सार्वजनिक स्वास्थ्य समाधानों की ओर ले जाने वाली हमारी सफल साझेदारियों में एक है। हमारे नए विनिर्माण संयंत्र से हमारी उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे हमें दुनिया भर में हैजा से लड़ने में मदद मिलेगी।’
उन्होंने कहा, ‘मैं इस टीके को विकसित करने के लिए भारत बायोटेक की टीम, हमारे साझेदारों को बधाई देता हूं और सीडीएससीओ, भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन, जिनेवा को उनके नियामकीय परामर्श और मदद के लिए धन्यवाद देता हूं।’
हिलकॉल की पेशकश हैजा नियंत्रण पर वैश्विक कार्यबल के साल 2030 तक हैजा से होने वाली मौतों को 90 फीसदी तक कम करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप है। हिलमैन लैबोरेटरीज, भारत बायोटेक, गोटेनबर्ग यूनिवर्सिटी और गोटोवैक्स एबी के साझा प्रयास से हिलकॉल तैयार किया गया है।