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BCCI ने Byju’s के खिलाफ शुरू की दिवाला कार्यवाही, NCLT के आदेश के बाद क्या कंपनी पर कंट्रोल खो देंगे फाउंडर रवींद्रन?

Byju's ने एक बयान में आज कहा, 'हम BCCI के साथ सौहार्दपूर्ण समझौते पर पहुंचना चाहते हैं और हमें विश्वास है कि इस आदेश के बावजूद समझौता हो सकता है।'

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रत्न शंकर मिश्र   
Last Updated- July 16, 2024 | 4:05 PM IST

Byju’s Insolvency proceedings: कंपनी मामलों को लेकर सुनवाई करने वाले कोर्ट नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने भारत की सबसे बड़ी क्रिकेट संस्था BCCI को बायजूस (Byju’s) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने की मंजूरी दे दी है।

दरसअल, पहले क्रिकेट मैचों में Byju’s भारतीय क्रिकेट टीमों के लिए BCCI के साथ स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट के साथ काम करती थी। BCCI ने Byju’s पर 158 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने का आरोप लगाया है। यह आरोप भारतीय टीम की जर्सी के राइट्स से जुड़ा है। BCCI ने पिछले साल बायजूस की पैरेंट कंपनी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (Think & Learn Pvt Ltd) के खिलाफ 158 करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने के लिए याचिका दायर की थी।

मामले को 15 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए रजिस्टर किया गया था। तब बायजूस कहा था कि वह लंबित दिवालिया मामले को निपटाने के लिए BCCI के साथ बातचीत कर रही है।

NCLT ने Byju’s के खिलाफ आदेश में क्या कहा

आज NCLT के आदेश ने अन्य वित्तीय लेनदारों (financial creditors), एडटेक के कर्मचारियों और वेंडर्स को क्लेम फाइल करने के लिए बुलाया है। NCLT ने आज अपने आदेश में कहा, ‘कर्ज का मौजूदगी और कर्ज के भुगतान में चूक स्पष्ट रूप से दिख रही है।’ NCLT ने कहा कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा दायर याचिका को खारिज करने का कोई कारण नहीं मिला।

क्या कंपनी पर अपना कंट्रोल खो देंगे

NCLT ने एडटेक के फाउंडर बायजू रवींद्रन की जगह एक अंतरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (interim resolution professional) भी नियुक्त किया है। एकोम लीगल (Aekom Legal) के मैनेजिंग पार्टनर सतविंदर सिंह ने ब्लूमबर्ग को बताया कि दिवाला कार्यवाही शुरू होने का मतलब यह है कि फाउंडर और मौजूदा निदेशक मंडल (Board of Directors) बायजूस का कंट्रोल खो सकते हैं। रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल अब कंपनी के ऑपरेशन के लिए जिम्मेदार होगा और दिवालियापन प्रक्रिया पूरी होने तक इसे ‘जारी चिंता’ के रूप में रखेगा।’

एक समय था कि जब Byju’s अपने बिजनेस के मामले में शानदार परफॉर्मेंस दिखा रही थी। कंपनी की वैल्यूएशन 22 अरब डॉलर थी। इसने खेल जगत की तीन बड़ी संस्थाओं – BCCI, इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) और फेडेरेशन इंडरनेशनल डि फुटबॉल असोशिएशन (FIFA) के साथ ब्रांडिंग पार्टनरशिप की थी।

लेकिन कंपनी बाद में कर्ज के तले दबती गई, कानूनी कार्रवाइयां शुरू हुईं। कई दिवाला प्रक्रियाएं देश-विदेश में चलने लगीं। और 2023 में ब्रांडिंग पार्टनरशिप का रिन्यूअल ही नहीं हो सका।

समझिये BCCI-Byju’s के बीच विवाद का पूरा मामला

BCCI और Byju’s बीच स्पॉन्सरशिप कॉन्ट्रैक्ट शुरुआत में 2019 में हुआ था। बायजूस से कॉन्ट्रैक्ट होने से पहले भारतीय टीम की जर्सी का राइट्स मोबाइल कंपनी ओप्पो (OPPO) के पास था। 2019 में Byju’s और BCCI के बीच का हुआ कॉन्ट्रैक्ट 2022 में खत्म हो गया था लेकिन बाद में इसे 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।

जनवरी 2023 में, Byju’s ने फंड की परेशानियों की खबरों के बीच घोषणा की कि वह BCCI के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट को रिन्यू नहीं करेगी। फिर साल के अंत तक BCCI ने बायजूस के खिलाफ कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) शुरू करने के लिए अपनी याचिका दायर की। NCLT ने नवंबर 2023 में बायजूस से जवाब मांगा था।

NCLT के आदेश के बाद Byju’s के पास अब क्या है विकल्प

Byju’s ने एक बयान में आज कहा, ‘हम BCCI के साथ सौहार्दपूर्ण समझौते पर पहुंचना चाहते हैं और हमें विश्वास है कि इस आदेश के बावजूद समझौता हो सकता है। इस बीच, हमारे वकील आदेश की समीक्षा कर रहे हैं और कंपनी के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।’

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बायजूस के पास फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है, और अगर वह स्टे ऑर्डर का आदेश जीत जाती है तो वह दिवालियेपन की कार्यवाही को रुक सकता है। इसके अलावा, Byju’s अगर पूरा बकाया भी चुका देती है तो कंपनी दिवालियापन कार्यवाही से गुजरने से बच जाएगी।

First Published : July 16, 2024 | 4:01 PM IST