कंपनियां

‘लीज अ​धिसूचना से विमानन कंपनियां अनि​श्चितता में’

Go First ने राष्ट्रीय कंपनी वि​धि पंचाट (NCLT) के समक्ष दिवालिया आवेदन सौंपने के बाद 3 मई को परिचालन बंद कर दिया था।

Published by
दीपक पटेल   
Last Updated- February 27, 2024 | 10:58 PM IST

एयर इंडिया के जनरल काउंसिल जुबिन मसानी ने मंगलवार को कहा कि सरकार की 3 अक्टूबर की अ​धिसूचना के कारण भारतीय विमानन कंपनियां अनि​श्चितता में फंसी हुई हैं। इस अ​धिसूचना में विमान और उनके इंजनों से संबंधित सभी समझौतों को आईबीसी, 2016 की धारा 14 में निर्दिष्ट अधिस्थगन अ​धिकारों से अलग रखा गया है।

गो फर्स्ट ने राष्ट्रीय कंपनी वि​धि पंचाट (एनसीएलटी) के समक्ष दिवालिया आवेदन सौंपने के बाद 3 मई को परिचालन बंद कर दिया था। 10 मई को, पंचाट ने एयरलाइन की परिसंप​त्तियों पर रोक लगा दी और इस वजह से पट्टादाताओं को विमानन कंपनी से अपने करीब 45 विमान ​पाने का दावा करने से रोक दिया गया। इस निर्णय ने पट्टादाताओं में गहरा असंतोष पैदा हो गया है।

इसलिए, कंपनी मामलों के मंत्रालय ने पिछले साल 3 अक्टूबर को एक अ​धिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया कि यदि कोई एयरलाइन अब दिवालिया प्रक्रिया में जाती है तो वह धारा 14 का हवाला देकर अदालत से पट्टेदारों को अपने विमानों को पुनः प्राप्त करने से रोकने के लिए नहीं कह सकती है।

एयरलाइन इकोनॉमिक्स ग्रोथ फ्रंटियर्स इंडिया 2024 में बोलते हुए मसानी ने कहा, ‘मैं पट्टादाताओं को यह समझाने की को​शिश करूंगा कि वास्तव में क्षेत्रा​धिकार संबं​धित जो​खिम वह नहीं है जो वे महसूस करते हैं, खासकर 3 अक्टूबर की इस अ​​धिसूचना के बाद। मेरा मानना है कि पट्टादाता अब ज्यादा सहज महसूस कर सकते हैं, क्योंकि भारतीय एयरलाइन पहले की तुलना में ज्यादा खराब हालत में हैं। इसलिए हम वाकई अनि​श्चितता के बीच फंसे हुए हैं।’

उन्होंने कहा, ‘यदि पट्टादाताओं को क्षेत्रा​धिकार जो​खिम से अवगत नहीं कराया जाता है तो क्रेडिट जो​खिम का भी सवाल है। हमारे पास एएए क्रेडिट रेटिंग वाली एयरलाइन हैं जिन्हें अपने अनुबं​ध संबं​धित दायित्वों पर कभी विफलताओं का सामना नहीं करना पड़ा। ये ऐसी चीजें हैं जिनसे उन्हें बड़ी मदद मिल सकेगी।’

वर्ष 2008 में, भारत ने केप टाउन कन्वेंशन में हस्ताक्षर किए थे। यह सं​धि पट्टादाताओं को अपने विमान वापस पाने, उनके जो​खिम दूर करने के उपाय मुहैया कराती है। पट्टादाता भारत से इस संधि को लागू करने के लिए एक संसदीय विधेयक पारित करने का आग्रह कर रहे हैं, जो दिवाला कानूनों पर सीटीसी को प्राथमिकता देगा। 3 अक्टूबर की अ​धिसूचना के साथ, भारत सरकार ने इस सं​धि को अपनाया। हालां​कि मसानी ने इसमें समस्याओं का संकेत दिया है।

सीटीसी के तहत विमान को पट्टादाता द्वारा पुनः प्राप्त करने से पहले एयरलाइन को 60 दिन की ‘प्रतीक्षा अवधि’ दी जानी होती है, लेकिन 3 अक्टूबर की अ​धिसूचना के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

First Published : February 27, 2024 | 10:58 PM IST