उच्चतम न्यायालय ने सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) मामले की सुनवाई के दौरान आज दिवालिया कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के सालाना वित्तीय आंकड़े तलब कर लिए। एजीआर के बकाये पर फैसला देने के लिए इन आंकड़ों की जानकारी महत्त्वपूर्ण है।
शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि आरकॉम का बकाया रिलायंस जियो से वसूला जा सकता है या नहीं। इसके पीछे अदालत का तर्क यह था कि जियो आरकॉम के साथ साझे स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है और उससे कमाई कर रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि एजीआर बकाये की वसूली में मदद के लिए उच्चतम न्यायालय जो भी फैसला करेगा, केंद्र सरकार उससे सहमत रहेगी।
मेहता ने कहा कि स्पेक्ट्रम की बिक्री पर दूरसंचार विभाग (डीओटी) और कंपनी मामलों के मंत्रालय के विचार अलग-अलग हैं। शीर्ष न्यायालय का कहना है कि स्पेक्ट्रम को दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत नहीं बेचा जा सकता। कंपनी मामलों के मंत्रालय ने स्पेक्ट्रम बिक्री की अनुमति मांगी थी, लेकिन आरकॉम की समाधान योजना अब तक मंजूर नहीं हुई है।
आईबीसी के तहत आरकॉम का मामला देखने वाले समाधान पेशेवर ने अदालत को बताया कि एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी बनाई जाएगी, जो शून्य ब्याज दर वाले बॉन्ड जारी करेगी। पेशेवर ने कहा कि ये बॉन्ड पांच साल में भुनाए जा सकेंगे। एआरसी संपत्तियों की बिक्री करेगी और 15,140 करोड़ रुपये के बॉन्ड बैंकों को दिए जाएंगे।
उधर रिलायंस जियो ने शीर्ष न्यायालय से कहा कि आरकॉम का बकाया चुकाने का जिम्मा उस पर लादने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। जियो ने कहा कि दोनों कंपनियों ने स्पेक्ट्रम साझा करने का समझौता जरूर किया था, लेकिन एक दूसरे की देनदारी साझा करने का समझौता नहीं हुआ है। मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी। न्यायालय ने 14 अगस्त को उन कंपनियों का ब्योरा मांगा था, जो एयरसेल और आरकॉम जैसी दिवालिया हो चुकी कंपनियों को आवंटित स्पेक्ट्रम इस्तेमाल कर रही हैं। उसने केंद्र सरकार, रिलायंस जियो और आरकॉम के समाधान पेशेवर को जरूरी कागजात पेश करने का हुक्म भी दिया था ताकि यह तय हो सके कि आरकॉम पर एजीआर का कितना बकाया है।
न्यायालय ने यह भी पूछा था कि दिवालिया हो चुकी सभी कंपनियों ने स्पेक्ट्रम किसके साथ साझा किया था। उसे पता चला कि रिलायंस जियो पिछले चार साल से आरकॉम का स्पेक्ट्रम इस्तेमाल कर रही है। इस पर जियो ने अदालत से कहा कि स्पेक्ट्रम साझेदारी के दिशानिर्देशों के मुताबिक उसे इस्तेमाल करने वाले को केवल स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क ही चुकाना पड़ता है। 10 अगस्त को सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार को आरकॉम सहित दिवालिया दूरसंचार फर्मों से एजीआर वसूली की योजना बनाने के लिए कहा था।
