बीसीसीआई के साथ स्पॉन्सरशिप समझौते से अपोलो टायर्स वाहन उद्योग में सर्वाधिक विज्ञापन खर्च करने वालों में से एक बन जाएगी। इस मामले में वह कई वाहन निर्माताओं को टक्कर देगी। अपोलो टायर्स का विज्ञापन खर्च घरेलू प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी अधिक है।
भारतीय क्रिकेट टीम का मुख्य प्रायोजक बनने के बाद ब्रांड प्रमोशन पर अतिरिक्त खर्च से कम से कम अल्पावधि में कंपनी के मार्जिन और मुनाफे पर असर पड़ सकता है। इस महीने की शुरुआत में अपोलो टायर्स ने अगले 30 महीनों के लिए टीम इंडिया का नया मुख्य प्रायोजक बनने के लिए बीसीसीआई के साथ लगभग 575 करोड़ रुपये का करार किया था।
कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में विज्ञापन और ब्रांड प्रमोशन पर कुल मिलाकर लगभग 655 करोड़ रुपये खर्च किए। यह राशि उसकी तीन अन्य घरेलू प्रतिस्पर्धी कंपनियों एमआरएफ, सिएट और जेके टायर्स के कुल विज्ञापन खर्च के बराबर थी। इन तीनों कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 में कुल लगभग 661 करोड़ रुपये खर्च किए।
पिछले वित्त वर्ष में अपोलो टायर्स ने अपनी कुल बिक्री का लगभग 2.5 प्रतिशत विज्ञापनों पर खर्च किया जो उसकी अन्य घरेलू प्रतिस्पर्धियों की तुलना में काफी अधिक है और केवल बाल्कृष्ण इंडस्ट्रीज ही उससे आगे रही जिसने वित्त वर्ष 2025 में कुल बिक्री का 4.2 प्रतिशत विज्ञापन पर खर्च किया।
हालांकि, बालकृष्ण इंडस्ट्रीज अपना ज्यादातर राजस्व ऑफ-रोड, माइनिंग और कृषि खंड के टायरों से कमाती है और ऑटोमोटिव टायर के क्षेत्र में उसकी मौजूदगी सीमित है। इसके विपरीत, अपोलो टायर्स का राजस्व वाणिज्यिक वाहनों और यात्री कारों के टायर बनाने और बेचने से आता है। दोपहिया टायरों से उसे काफी कम राजस्व मिलता है।
अन्य घरेलू कंपनियों जैसे एमआरएफ, सिएट और जेके टायर्स की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है। देश की सबसे बड़ी टायर निर्माता कंपनी एमआरएफ ने वित्त वर्ष 2025 में विज्ञापन पर लगभग 190 करोड़ रुपये खर्च किए जो उसकी कुल बिक्री का केवल 0.7 प्रतिशत है। सिएट ने वित्त वर्ष 2025 में 284 करोड़ रुपये खर्च किए जो उसकी कुल बिक्री का करीब 2.1 फीसदी है। जेके टायर्स का विज्ञापन खर्च करीब 188 करोड़ रुपये रहा जो उसकी शुद्ध बिक्री का 1.3 फीसदी है।
इसके अलावा, देश की कई वाहन निर्माता कंपनियों की तुलना में अपोलो टायर्स का विज्ञापन खर्च भी अधिक है। वित्त वर्ष 2025 में, इस टायर कंपनी ने बजाज ऑटो, आयशर मोटर्स और टाटा मोटर्स जैसी वाहन निर्माताओं की तुलना में विज्ञापन पर ज्यादा खर्च किया, जबकि ह्युंडै मोटर्स इंडिया की तुलना में यह खर्च थोड़ा कम था।
कंपनी का कहना है कि बीसीसीआई के साथ प्रायोजन करार से बिक्री बढ़ेगी और परिचालन मार्जिन में बढ़ोतरी होगी, जिससे यह करार अपने आप में फायदेमंद साबित होगा। कंपनी के वाइस-चेयरमैन और प्रबंध निदेशक नीरज कंवर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘टीम इंडिया से हमारा जुड़ाव हमें बाजार में हिस्सेदारी हासिल करने में मदद करेगा, खासकर ग्रामीण भारत और छोटे शहरों में जहां क्रिकेट सबसे ज्यादा देखा जाता है। देश के इन हिस्सों में बड़े शहरी केंद्रों की तुलना में वाहनों का स्वामित्व तेजी से बढ़ रहा है, जिससे हमें इन बाजारों में अपनी ब्रांड उपस्थिति मजबूत करने का अवसर मिलेगा।’
कंवर के अनुसार इस प्रायोजन से अपोलो टायर्स को अमेरिकी ट्रक टायर बाजार में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिलेगी। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इससे कम से कम अल्पावधि में अपोलो टायर्स के मार्जिन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।