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Apollo Hospitals डॉक्टरों और नर्सों के काम का बोझ कम करने के लिए AI में बढ़ाएगा निवेश

डायग्नोसिस से लेकर मरीजों की रिपोर्ट तक, AI टूल्स से हर दिन 2-3 घंटे की बचत का लक्ष्य

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एजेंसियां   
Last Updated- March 13, 2025 | 10:13 PM IST

अपोलो हॉस्पिटल्स अपने डॉक्टरों और नर्सों का काम का बोझ कम करने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) टूल में और ज्यादा निवेश करेगी ताकि मेडिकल कागजात समेत नियमित कामों को स्वचालित तरीके से किया जा सके। एक शीर्ष अधिकारी ने रॉयटर्स को यह जानकारी दी।

मरीजों के भारी-भरकम दबाव के कारण देश के अस्पतालों के डॉक्टरों और नर्सों को काम के बहुत ज्यादा बोझ से जूझना पड़ रहा है। ये अस्पताल डॉयग्नोस्टिक की सटीकता बढ़ाने, मरीजों के रोगों की जटिलताओं के जोखिम की भविष्यवाणी करने, रोबोट सर्जरी में सटीकता में सुधार करने, वर्चुअल रूप से चिकित्सा देखभाल प्रदान करने और अस्पताल के संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए एआई का तेजी से उपयोग कर रहे हैं।

अपोलो के पास अपने अस्पताल नेटवर्क में 10,000 से अधिक बिस्तर हैं। इससे यह देश के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक बना जाता है। अपोलो ने पिछले दो वर्षों के दौरान अपने डिजिटल खर्च का 3.5 प्रतिशत एआई के लिए अलग रखा है और इस साल इसे बढ़ाने की योजना है। संयुक्त प्रबंध निदेशक संगीता रेड्डी ने और कोई विवरण दिए बिना यह जानकारी दी।

रेड्डी ने पिछले महीने बातचीत में कहा था, ‘हमारा मकसद एआई के हस्तक्षेप के जरिए डॉक्टरों और नर्सों के हर रोज दो से तीन घंटे बचाना है।’ अपोलो के एआई टूल में से कुछ प्रायोगिक हैं और अभी शुरुआती चरण में हैं। ये टूल डायग्नोस, परीक्षण और इलाज का सुझाव देने के लिए मरीजों के इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण करेंगे। वे डॉक्टरों की जांच का रिकॉर्ड दर्ज करने, तेजी से डिस्चार्ज समरी तैयार करने और नर्सों की रिपोर्ट से दैनिक कार्यक्रम बनाने में मदद करेंगे।

चेन्नई की यह अस्पताल श्रृंखला एक ऐसे एआई टूल पर भी काम कर रही है, जो चिकित्सकों को बीमारी के इलाज के लिए सबसे ज्यादा कारगर एंटीबायोटिक का नुस्खा लिखने में मदद करेगा। रेड्डी ने कहा कि अपोलो का लक्ष्य चार वर्षों में बिस्तर क्षमता एक-तिहाई तक बढ़ाना है। वह लागत का बोझ बढ़ाए बिना अतिरिक्त राजस्व का एक हिस्सा एआई इस्तेमाल को बढ़ावा देने में करेगा।

First Published : March 13, 2025 | 10:13 PM IST