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दीनदयाल गैस फील्ड के लिए पार्टनर ढूंढने का ONGC का एक और प्रयास विफल

ओएनजीसी ने जनवरी, 2017 में देश के पूर्वी तट पर केजी-ओएसएन-2001/3 ब्लॉक में गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम (जीएसपीसी) की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी।

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भाषा   
Last Updated- November 03, 2024 | 3:07 PM IST

सार्वजनिक क्षेत्र की ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) का बंगाल की खाड़ी के केजी बेसिन में दीन दयाल गैस क्षेत्र को बचाने के लिए भागीदार ढूंढने का तीसरा प्रयास भी विफल रहा है। सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि ओएनजीसी के इस प्रयास का हश्र भी पिछले प्रयासों जैसा रहा है और उसे फिर भागीदार के लिए कोई बोलियां नहीं मिली हैं।

इस मामले की जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने कहा कि दीन दयाल क्षेत्र में तकनीकी और वित्तीय भागीदारों को हिस्सेदारी की पेशकश करने वाली निविदा के लिए कोई बोली नहीं मिली है। ओएनजीसी ने इस क्षेत्र का अधिग्रहण गुजरात सरकार से 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर में किया था।

बोली दस्तावेज के अनुसार, ओएनजीसी ने 12 जून को ‘‘क्षेत्र के लिए एक व्यवहार्य रणनीति तैयार करने के लिए भागीदार के रूप में शामिल होने को तकनीकी विशेषज्ञता और वित्तीय मजबूती वाली वैश्विक तेल एवं गैस कंपनियों से रुचि पत्र (ईओआई) मांगे थे। बोलियां 12 सितंबर को बंद हो गईं।

ओएनजीसी ने जनवरी, 2017 में देश के पूर्वी तट पर केजी-ओएसएन-2001/3 ब्लॉक में गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम (जीएसपीसी) की 80 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी। उसके बाद से इस क्षेत्र से मामूली मात्रा में गैस का उत्पादन हुआ है। इस ब्लॉक में दीन दयाल पश्चिम (डीडीडब्ल्यू) गैस/कंडेनसेट क्षेत्र शामिल है, जिसे लगभग दो दशक पहले जीएसपीसी ने खोजा था।

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गुजरात सरकार की इस कंपनी ने अपने कर्ज को कम करने के लिए ओएनजीसी को अपनी हिस्सेदारी बेचते समय इस क्षेत्र को एक काफी संभावना वाले क्षेत्र के रूप में दिखाया था। इस क्षेत्र के बारे में शुरू में कहा गया था कि इसमें 20,000 अरब घन मीटर का गैस भंडार है, जो देश के किसी भी गहरे समुद्र क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा भंडार है। लेकिन बाद में इसे घटाकर इसका दसवां हिस्सा कर दिया गया। यह क्षेत्र अनुमान से कहीं अधिक कठिन साबित हुआ है।

ओएनजीसी ने निविदा दस्तावेज में कहा था, ‘‘आज तक यहां विकास के लिए कुल सात कुएं खोदे गए हैं।’’ एक कुआं पृथ्वी की सतह या समुद्र तल के नीचे से हाइड्रोकार्बन का उत्पादन करने में मदद करता है। ओएनजीसी ने कहा था, ‘‘इनमें से चार पूरे हो चुके कुओं से अपेक्षित उत्पादन नहीं मिला है। अधिग्रहण की लागत के अलावा ओएनजीसी डीडीडब्ल्यू क्षेत्र को उत्पादन में लाने के लिए अघोषित राशि खर्च कर चुकी है। जीएसपीसी के पास क्षेत्र में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि शेष हिस्सेदारी जुबिलेंट एन्प्रो के पास है।

First Published : November 3, 2024 | 3:07 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)