सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश को अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन द्वारा चुनौती दिए जाने वाले मामले को तेजी से निपटाने के लिए एमेजॉन और फ्यूचर ग्रुप को नैशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) जाने का निर्देश दिया। सीसीआई ने 2019 में फ्यूचर कूपंस और एमेजॉन के बीच हुए सौदे को रद्द कर दिया था। मामले की अगली सुनवाई 9 मार्च को होगी।
एमेजॉन-फ्यूचर मध्यस्थता मामले को तीन सदस्यीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल में जाने पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाए जाने के बाद एमेजॉन ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था।
एमेजॉन ने अपनी याचिका में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा फ्यूचर समूह की कंपनी के साथ सौदे को लेकर अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी को दी गयी मंजूरी को रद्द करने को चुनौती दी गयी है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायाधीश एएस बोपन्ना और न्यायाधीश हिमा कोहली के पीठ ने यह सुझाव दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय के 5 जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली एमेजॉन की याचिका पर सुनवाई के लिए 9 मार्च की तारीख तय की।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में फ्यूचर रिटेल के रिलायंस रिटेल के साथ 24,500 करोड़ रुपये के विलय सौदे को लेकर मध्यस्थता न्यायाधिकरण में जारी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
पीठ ने संक्षिप्त रूप से दलीलों को सुनने के बाद सुनवाई टाल दी। दलील में कहा गया कि एनसीएलएटी विलय सौदे से संबंधित अमेजन की एक और अपील पर सुनवाई कर रहा है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘मौजूदा विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) एक तरह से एनसीएलएटी के समक्ष दायर याचिका के परिणाम से संबंधित है। हम दोनों पक्षों को अपीलीय न्यायाधिकरण से मामले में निर्णय देने का आग्रह करने का निर्देश देते हैं। मामले की सुनवाई के लिये नौ मार्च की तारीख तय की जाए।’
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 9 फरवरी को एमेजॉन की याचिका पर फ्यूचर समूह की कंपनियों को नोटिस जारी किये थे। एमेजॉन ने अपनी याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के 5 जनवरी के आदेश को चुनौती दी है।
न्यायालय ने फ्यूचर समूह की कंपनियों- फ्यूचर कूपंस प्राइवेट लिमिटेड (एफसीपीएल) और फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) से जवाब तलब किया था और कहा था कि वह 23 फरवरी को बिना किसी स्थगन के मामले की सुनवाई करेगा।
अमेरिकी कंपनी ने अक्टूबर, 2020 में फ्यूचर समूह के खिलाफ सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र में मामला दर्ज कराया था। तब से दोनों के बीच कानूनी लड़ाई जारी है।