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एल्युमीनियम उद्योग को नीतिगत समर्थन की जरूरत : हिंडाल्को

लकर्णी ने संरचनात्मक अवसर पर जोर देते हुए कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति एल्युमीनियम खपत केवल 3.5 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 12 किलोग्राम है।

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साकेत कुमार   
Last Updated- September 11, 2025 | 9:33 AM IST

घरेलू एल्युमीनियम उद्योग को विकास के अगले चरण में प्रवेश करने के लिए कई नीतिगत उपायों की दरकार है, जबकि आने वाले दशकों में खपत कई गुना बढ़ने वाली है। धातु एवं खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी हिंडाल्को के वरिष्ठ कार्यकारी ने आज यह जानकारी दी।

हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मुख्य रणनीति अधिकारी अनिरुद्ध कुलकर्णी ने उद्योग के एक कार्यक्रम में कहा, ‘उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन, आयातित मशीनरी पर आयात शुल्क को दुरुस्त करना और भारतीय गुणवत्ता मानकों का अनुपालन जैसे क्षेत्रों में नीतिगत समर्थन इस उद्योग को विकास के अगले स्तर तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’

वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए कुलकर्णी ने उद्योग के लिए तीन प्राथमिकताओं पर जोर दिया – बेहतर डाई तक पहुंच के जरिये उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार, सर्कुलरटी और रीसाइकलिंग को अपनाना तथा लागत कम करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डिजिटलीकरण को अपनाना।

उन्होंने सरकार के एल्युमीनियम विजन दस्तावेज का हवाला दिया, जिसमें अनुमान लगाया गया है कि अगले पांच साल में खपत 50 लाख टन से दोगुनी होकर 1 करोड़ टन हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘अगर हम सब मिलकर काम करें तो एक्सट्रूशन उद्योग को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।’

कुलकर्णी ने संरचनात्मक अवसर पर जोर देते हुए कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति एल्युमीनियम खपत केवल 3.5 किलोग्राम है, जबकि वैश्विक औसत 12 किलोग्राम है। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ते शहरीकरण, औद्योगिक विकास, बुनियादी ढांचे पर खर्च तथा सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे पर्यावरण अनुकूल संचालकों से मांग बढ़ेगी।

कार्यक्रम में वेदांत एल्युमीनियम के मुख्य कार्य अधिकारी राजीव कुमार ने कहा कि इस क्षेत्र का महत्व उद्योग जगत से कहीं आगे तक फैला हुआ है। उन्होंने कहा, ‘एल्युमीनियम भारत के ऊर्जा स्वावलंबन, शुद्ध शून्य उत्सर्जन की महत्वाकांक्षाओं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी क्षमता के लिए महत्वपूर्ण है।’

First Published : September 11, 2025 | 9:33 AM IST