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भारत के ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स या GCCs अब सिर्फ AI के प्रयोग तक सीमित नहीं रह रहे हैं, बल्कि इसे अपने पूरे बिजनेस में लागू करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। EY GCC पल्स सर्वे 2025 के अनुसार 58 प्रतिशत GCCs अब Agentic AI में निवेश कर रहे हैं, जबकि 29 प्रतिशत अगले एक साल के भीतर इसे बड़े पैमाने पर अपनाने की योजना बना रहे हैं।
सर्वे में यह भी सामने आया कि भारत के GCCs अब वैश्विक कंपनियों के लिए रणनीतिक निर्णय और नवाचार के केंद्र बनते जा रहे हैं। यह बदलाव मुख्य रूप से GenAI की बढ़ती अपनाने की क्षमता, डिजिटल परिपक्वता और बढ़ती जिम्मेदारियों से प्रेरित है।
सर्वे अगस्त से अक्टूबर 2025 के बीच कई सेक्टर्स के नेताओं से लिया गया। इसमें शामिल GCCs में औसतन 800 कर्मचारी हैं।
सर्वे के अनुसार 83 प्रतिशत GCCs पहले ही GenAI में निवेश कर रहे हैं। पिछले साल की तुलना में GenAI पायलट प्रोजेक्ट्स 37 प्रतिशत से बढ़कर 43 प्रतिशत हो गए हैं। साथ ही 81 प्रतिशत GCCs अपने कर्मचारियों को GenAI में प्रशिक्षित कर रहे हैं।
GCCs खास तौर पर GenAI का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में कर रहे हैं जहां असर तुरंत दिखाई दे। इसमें ग्राहक सेवा में 65 प्रतिशत, वित्त में 53 प्रतिशत, संचालन में 49 प्रतिशत और IT व साइबर सुरक्षा में 45 प्रतिशत शामिल हैं।
हाल के एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि ग्लोबल capability सेंटर (GCCs) अब केवल प्रयोगात्मक स्तर से आगे बढ़कर एंटरप्राइज स्तर की AI और ऑटोमेशन तकनीकों को अपनाने लगे हैं। रिपोर्ट में एजेंटिक AI (Agentic AI) को “अगली बड़ी सीमा” बताया गया है।
सर्वे के अनुसार, दो-तिहाई (67%) GCCs ने विशेष इनोवेशन टीम और इनक्यूबेशन प्लेटफॉर्म बनाए हैं। भारत से उत्पन्न विचारों को वैश्विक स्तर पर फैलाने के लिए अब संरचित विचार पाइपलाइन का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इस कड़ी में कंपनियों ने इंटेलिजेंट GCC सॉल्यूशन सूट भी लॉन्च किया है, जो AI-नेटिव केंद्र बनाने और मूल्य श्रृंखला में स्वायत्त बुद्धिमत्ता (autonomous intelligence) को जोड़ने में मदद करता है।
भारत के GCCs अब उन जिम्मेदारियों को संभाल रहे हैं, जो पहले मुख्यालय के पास होती थीं। आधे से अधिक (52%) अब वैश्विक निर्णयों में साझा जिम्मेदारी निभाते हैं, जबकि 26% नियमित परामर्श में शामिल हैं। 20% GCCs कुछ वैश्विक कार्यों में पूरी जिम्मेदारी लेने की दिशा में हैं।
GCC नेताओं के अनुसार, डिजिटल परिवर्तन (61%), लागत कम करना (54%) और कार्यक्षेत्र का विस्तार (51%) प्रमुख प्राथमिकताएं हैं। बजट में सबसे अधिक हिस्सा तकनीक और परिवर्तन (25%) के लिए है, इसके बाद प्रतिभा और कार्यबल (23%) का स्थान है।
92% GCCs लागत लाभ से आगे मूल्य देने का लक्ष्य रखते हैं।
87% पूर्ण वैश्विक प्रक्रियाओं को प्रबंधित करना चाहते हैं।
84% अपनी संचालन प्रणाली इन-हाउस बनाए रखना चाहते हैं, जबकि आउटसोर्सिंग 12% तक बढ़ी है।
अधिकांश GCCs बेंगलुरु (46%) में हैं, इसके बाद पुणे (39%) और हैदराबाद (24%) का स्थान है। अहमदाबाद और जयपुर जैसे टियर-2 शहरों में गतिविधि बढ़ रही है।
GCCs की प्राथमिकताएं हैं: रिस्किलिंग (71%), तकनीक आधारित विकास (70%) और विशेषज्ञ क्षेत्रों में भर्ती जैसे AI/ML (63%), डेटा इंजीनियरिंग और BI (54%)। 2025 में कर्मचारियों की छंटनी 9% पर आई, जो 2023 में 13% थी।
साइबर सुरक्षा में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। केवल 7% GCCs ने पूरी तरह से साइबर को-एज ऑफ एक्सीलेंस बनाया है। तीसरे पक्ष के डेटा एक्सेस की निगरानी 44% से बढ़कर 60% हो गई है।
सबसे बड़ा जोखिम अब भी कर्मचारियों से जुड़ा है। इसमें विशेषज्ञ प्रतिभा की कमी, बढ़ती वेतन लागत और कर्मचारियों को बनाए रखने का दबाव शामिल है।
नवीनतम सर्वेक्षण में पता चला है कि ट्रांसफर प्राइसिंग अब भी सबसे बड़ा नियामक चुनौती बनी हुई है, जिसे 63 प्रतिशत कंपनियों ने बताया। वहीं, कंप्लायंस की जटिलता और डेटा प्राइवेसी संबंधी चिंताएं अब 42 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
EY इंडिया के फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर लीडर और पार्टनर मनोज मरवाह ने कहा कि ये आंकड़े एक स्ट्रक्चरल बदलाव को दिखाते हैं। उन्होंने कहा, “प्रतिभा, क्रॉस-फंक्शनल क्षमता और तेजी से बढ़ता AI इकोसिस्टम ग्लोबल कंपनियों को ऐसी ताकत दे रहा है, जो कहीं और आसानी से हासिल नहीं की जा सकती।”
EY इंडिया के टेक्नोलॉजी, मीडिया और टेलीकॉम सेक्टर लीडर अरिंदम सेन ने कहा कि GCCs अब सिर्फ लागत की तुलना में नई खोज और नवाचार पर ध्यान दे रहे हैं। वे AI के इस्तेमाल से ऐसे प्रयोग कर रहे हैं जो काम करने के तरीके को बदल रहे हैं।