निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने बुधवार को स्पैम कॉल और मेसेज का पता लगाने के लिए नेटवर्क आधारित समाधान की घोषणा की है। कंपनी ने अपने ग्राहकों को स्पैम कॉल और मेसेज का पता लगाने की सुविधा देने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और 250 मानदंडों का इस्तेमाल किया है।
भारती एयरटेल के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी गोपाल विट्ठल ने कहा कि कंपनी ने इस समाधान को खुद से तैयार किया है और गुरुवार से कॉल और मेसेज को संदिग्ध स्पैम के तौर पर पहचानने और वर्गीकृत करने के लिए प्रोपराइटरी एल्गोरिद्म का उपयोग किया जाएगा। परीक्षण में इसने 97 फीसदी स्पैम कम्युनिकेशन को सफलतापूर्वक पहचान लिया है।
इसमें कॉल करने वाले अथवा प्रेषक के उपयोग पैटर्न, कॉल/एसएमएस की फ्रिक्वेंसी और कॉल अवधि जैसे रियल टाइम मापदंडों का विश्लेषण किया जाता है। जानकारी वाले स्पैम पैटर्न के साथ इस जानकारी को क्रॉस रेफर किया जाता है और फिर सिस्टम संदिग्ध स्पैम कॉल और मेसेज को सटीक रूप से पहचान लेता है।
यह समाधान 250 मानदंडों पर आधारित है, जिनमें कॉल की गति और संख्या, उपकरण बदलने की तीव्रता, छोटी अवधि वाले कॉल की संख्या, कहां से कॉल होते हैं उसकी जानकारी, नेटवर्क पर समय, एक ही केवाईसी पर नामों की संख्या और रोबो कॉलिंग उपकरण शामिल है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि ग्राहक को आने वाला फोन कॉल अथवा एसएमएस स्पैम तो नहीं है।
विट्ठल के मुताबिक, एयरटेल का नेटवर्क आकार इस समाधान को ट्रूकॉलर जैसे मौजूदा प्लेटफॉर्म से काफी अलग करता है। इस समाधान में दो फिल्टर हैं। पहला नेटवर्क स्तर पर और दूसरा सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली स्तर पर। हर कॉल और एसएमएस इस दोहरे स्तर वाले एआई शील्ड से होकर गुजरेंगे, जिसे बीते कुछ महीनों में एयरटेल के नेटवर्क ट्रैफिक से समझा गया है।
प्रौद्योगिकी का उठा रहे फायदा
समाधान के तहत ग्राहकों को एसएमएस पर मिलने वाले हानिकारक लिंक के बारे में बताया जाएगा। एयरटेल ने इसके लिए ब्लैकलिस्टेड यूआरएल का एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया है और हर एसएमएस को एआई एल्गोरिद्म से वास्तविक समय पर स्कैन किया जाएगा ताकि ग्राहकों को संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचाया जा सके। मगर विट्ठल ने इस पर जोर दिया कि एयरटेल ग्राहकों को मिलने वाले संदेशों को नहीं पढ़ेगा।