सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया की पश्चिम एशिया में सस्ती विमान सेवा शुरू करने की योजना शुरू होने से पहले ही बंद होने के आसार नजर आ रहे हैं।
इस क्षेत्र में नई विमानन कंपनियों के आने से सस्ती दरों पर टिकट मुहैया कराने की कवायद भी तेज हो गई है। इस कवायद में एयर इंडिया की सस्ती विमान सेवा मुहैया कराने वाली सहायक कंपनी की यात्री वहन क्षमता में लगभग 11 फीसदी की गिरावट आई है।
नागरिक उड्डयन विमानन मंत्रालय द्वारा दिए गए एयर इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी ने कुवैत, आबूधाबी और मस्कट के लिए जाने वाली उड़ानों में 27 फीसदी की कटौती की है। पिछली गर्मियों में इन शहरों के लिए साप्ताहिक उड़ानों की संख्या 85 थी, लेकिन सर्दियों तक इनकी संख्या घटकर 62 ही रह गई थी।
एयर इंडिया की सबसे ज्यादा 36 उड़ाने दुबई के लिए थीं। लेकिन इनकी संख्या भी घटाकर 19 कर दी गई है। लेकिन दूसरी तरफ इसी दौरान एयर इंडिया ने पश्चिम एशिया जाने वाली साप्ताहिक उड़ानों की संख्या में 42 फीसदी का इजाफा किया है। एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का संचालन करने वाली कंपनी, नेशनल एविऐशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड के कार्यकारी ने बताया कि पश्चिम एशिया के लिए उड़ानों की संख्या अब 75 से बढ़कर 107 हो गई है।
लेकिन एयर इंडिया की यात्री वहन क्षमता 76 फीसदी से घटकर 65 फीसदी हो गई है। इतने ही वक्त में दुबई रूट पर भी कंपनी की यात्री वहन क्षमता 83 फीसदी से घटकर 78 फीसदी हो गई है। पश्चिम एशिया के रूट पर कंपनी की औसत यात्री वहन क्षमता 80 फीसदी से ज्यादा है। एयर इंडिया की नीति में यह बदलाव उस वक्त आया है जब पिछले एक साल में इस क्षेत्र में संभावनाओं में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है।
कुल मिलाकर पिछले एक साल में पश्चिम एशिया के लिए लगभग 100 नई साप्ताहिक उड़ानों की शुरुआत हुई है। एयर अरेबिया, जजीरा एयरलाइंस (दोनों ही सस्ती दर विमानन कंपनियां) और जेट एयरवेज इस क्षेत्र में काफी तेजी से खुद को स्थापित करने की कोशिश में हैं। एमिरेट्स, कतार एयरवेज और गल्फ एयर जैसे पुराने खिलाड़ियों ने भी अपनी यात्री वहन क्षमता बढ़ाने के साथ ही कीमतों में कटौती जैसी सुविधाएं देकर एयर इंडिया से आगे निकलने की कोशिश कर रही है।
एयर इंडिया के एक अधिकारी ने बताया कि इंडियन एयरलाइंस भी एयर इंडिया एक्सप्रेस से उसी टिकट दर पर ज्यादा उड़ानें भरती है। इससे भी एयर इंडिया एक्सप्रेस क ी यात्री वहन क्षमता कम हुई है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक गल्फ एयर भी टिकट दरों में 7 फीसदी की कटौती करने की योजना बना रही है।
ऐसा होने से टिकटों की कीमतों को लेकर चल रही जंग और इस क्षेत्र में गला-काट प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।एयर इंडिया का ध्यान अमेरिकी बाजार पर होने से भी नुकसान हुआ है। इस वजह से कंपनी को पश्चिम एशिया से होने वाले राजस्व प्राप्ति में 15 फीसदी की कमी आयी है। यह आंकड़ा 40 फीसदी से घटकर 25 फीसदी हो गया है।