एयर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक कैम्पबेल विल्सन ने रविवार को कर्मचारियों से कहा कि एयरलाइन में परिचालन संबंधी हादसे हमारे पैमाने और आकार के संदर्भ में सामान्य थे, भले ही पिछले तीन महीनों में विमानन कंपनी को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा समीक्षा किए गए उनके संदेश में कहा गया है, ‘पिछले कुछ महीनों में, हमारे संचालन ने आंतरिक और बाहरी, दोनों तरफ से महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है।’
उन्होंने कहा, ‘सभी एयरलाइनों की तरह, हमें भी कई तरह की परिचालन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें से कुछ हमारे नियंत्रण में होती हैं और कुछ नहीं। जब सबकी नजरें हम पर होती हैं, तो समय पर, स्पष्ट और सटीक जानकारी और सही संदर्भ प्रदान करना बेहद जरूरी होता है।’
सीईओ ने कहा कि एयर इंडिया ने घटनाओं की रिपोर्टिंग में ज्यादा स्वायत्तता अपनाई है।
उन्होंने लिखा है, ‘हाल के सप्ताहों में, हम घटनाओं की रिपोर्टिंग में, चाहे वे कितनी भी छोटे क्यों न हों, सामान्य से कहीं अधिक पारदर्शी रहे हैं। यह पारदर्शिता, समय के साथ, विश्वास बनाने में मदद करेगी। हालांकि, अल्पावधि में इससे स्वाभाविक रूप से समाचार कवरेज में वृद्धि होती है और एयर इंडिया समूह में हर दिन 1,200 से ज्यादा उड़ानों (लगभग हर मिनट एक) को देखते हुए, यह बहुत ज्यादा लग सकता है। हालांकि, हमारे पैमाने और आकार के संदर्भ में, घटना की दर पूरी तरह से सामान्य है।’
12 जून को, अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान एआई- 171, उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक कॉलेज की इमारत से टकरा गया, जिसमें 260 लोग मारे गए और केवल एक ही व्यक्ति जीवित बचा था।
जुलाई से, एयर इंडिया को परिचालन संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है। 2 जुलाई को, दिल्ली-वाशिंगटन की एक उड़ान मैंटेनेंस संबंधी समस्याओं के कारण विएना में रुक गई, जिसके कारण दोनों दिशाओं की उड़ानें रद्द कर दी गईं। 21 जुलाई को, एक विमान ने दिल्ली हवाई अड्डे पर उड़ान नहीं भरी, जबकि दूसरा मुंबई में बारिश से भीगे रनवे पर फिसल गया, जिससे टायर फट गए, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ।