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कृषि रसायन निर्यातकों को घरेलू कंपनियों के मुकाबले बेहतर वृद्धि की उम्मीद

Published by
राम प्रसाद साहू
Last Updated- December 29, 2022 | 12:01 AM IST

घरेलू कृषि रसायन कंपनियों के मामले में निकट भविष्य की विभिन्न चुनौतियां निर्यातकों की तुलना में उनके प्रदर्शन को कम कर सकती हैं। हालांकि अधिक मांग और करेंसी की मजबूती से वृद्धि के मोर्चे पर निर्यात को मदद मिलनी चाहिए, लेकिन स्टॉक घटाने से घरेलू कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ सकता है। प्रभुदास लीलाधर रिसर्च का मानना है कि पीआई इंडस्ट्रीज, सुमितोमो केमिकल्स और यूपीएल जैसी निर्यातोन्मुख कंपनियां निकट अवधि में शुद्ध रूप से घरेलू स्तर पर कारोबार करने वाली कंपनियों की तुलना में बेहतर स्थिति में हैं, जिनमें धानुका एग्रीटेक, बेयर क्रॉपसाइंस भी शामिल हैं।

ब्रोकरेज के हिमांशु बिनानी कहते हैं कि कच्चे माल की गिरती लागत वाले परिदृश्य के साथ-साथ खरीफ सीजन से बिक्री के अधिक प्रतिफल और जेनेरिक खंड में मूल्य निर्धारण के दबाव के बीच अधिक लागत वाले स्टॉक के प्रावधानों से संबद्ध निकट अवधि की चुनौतियों से घरेलू कंपनियों के मार्जिन पर असर पड़ेगा। ब्रोकरेज का मानना है कि पिछले साल के बचे हुए बड़े स्टॉक और असमान बारिश के कारण खरीफ सीजन में कम उत्पाद परिसमापन की वजह से खास तौर पर कीटनाशक श्रेणी के लिए चैनल इन्वेंट्री अधिक बनी हुई है।

हालांकि चुनौतियां हैं, लेकिन निर्मल बांग रिसर्च को उम्मीद है कि फसलों के तहत आने वाले क्षेत्र में जोरदार वृद्धि, रसायन के दामों के साथ-साथ कंटेनर की दरों में गिरावट के कारण वित्त वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में भारत के फसल संरक्षण रसायन क्षेत्र में दोबारा उछाल आएगी। नवीनतम रुझानों के अनुसार प्रमुख ढुलाई सूचकांक में 77 से 90 प्रतिशत की गिरावट है। घरेलू क्षेत्र के वृद्धि कारकों में कृषि रसायनों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना और मूल्य संवर्धित फसल सुरक्षा रसायनों की मदद के लिए शुल्क पुनर्गठन से संबंधित रियायतें शामिल हैं।

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हालांकि वित्त वर्ष 23 में संपूर्ण क्षेत्र में 15 से 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज किए जाने की उम्मीद है, लेकिन इस क्षेत्र के निर्यातक 500 आधार अंक अधिक वृद्धि कर सकते हैं। क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक पूनम उपाध्याय कहती हैं कि इस वित्त वर्ष में निर्यात राजस्व में 18 से 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है, जबकि अमेरिकी डॉलर में अब तक लगभग नौ प्रतिशत की मजबूती आई है और वॉल्यूम बढ़ रहा है क्योंकि वैश्विक कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता का जोखिम कम कर रहे हैं।

First Published : December 28, 2022 | 7:54 PM IST