देश की पहली एकीकृत दवा अनुसंधान कंपनी एडवाइनस अपनी स्थापना के 4 साल बाद डायबिटीज के इलाज में प्रभावी होने वाले ‘ड्रग मॉलिक्यूल’ का क्लीनिकल परीक्षण शुरू करने जा रही है।
उल्लेखनीय है कि रैनबैक्सी के पूर्व अनुसंधान प्रमुख रश्मि बरभइया ने टाटा समूह के साथ मिलकर बेंगुलुरु में यह कंपनी स्थापित की है। कंपनी के अनुसार, यदि परीक्षण सफल रहा तो तैयार होने वाली यह दवा दुनिया भर में अभी इस्तेमाल हो रही डायबिटीज की दवाओं से बिल्कुल अलग होगी।
एडवाइनस के सीईओ बरभइया ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ”इस तरह की खूबियों वाली कोई भी दवा अभी बाजार में उपलब्ध नहीं है। इस दवा का विकास अभी क्लिनिकल परीक्षण के दौर से गुजर रहा है।” उनके अनुसार, इस मॉलिक्यूल का परीक्षण शुरू करने के लिए कंपनी अगले महीने भारतीय दवा नियामक के पास आवेदन देगी।
कंपनी की पुणे स्थित ड्रग डिस्कवरी यूनिट से बेंगुलुरु में मौजूद ड्रग डेवलपमेंट विंग को भेजी गई इस दवा के बारे में कंपनी का विश्वास है कि यह उसका पहला सफल अनुसंधान हो सकता है।
बरभइया ने बिना किसी वित्तीय जानकारी के बताया, ”पुणे की हमारी इकाई 7 से 8 विभिन्न दवा अनुसंधान कार्यक्रमों पर काम रही है। हमारा मर्क, जॉनसन ऐंड जॉनसन, गेंजीम सहित कई कंपनियों के साथ संयुक्त अनुसंधान के कई करार हैं। इन अनुसंधानों के लिए भारी भुगतान किया जाना है। मर्क से हमें पहले ही 3 बड़े भुगतान हासिल हो चुके हैं।”
कंपनी को अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से इस साल कम से कम 2 बड़े दवा अनुसंधान समझौते हासिल होने की उम्मीद है। बरभइया के मुताबिक बेंगलुरु का दवा अनुसंधान विंग फिलहाल 70 से 80 घरेलू और विदेशी दवा कंपनियों के लिए दवा अनुसंधान कर रही है।
कंपनी के लिए राजस्व का यह मुख्य स्रोत है। उनके मुताबिक, जब पुणे में इकाई स्थापित की गई थी तब इसके विस्तार के लिए राजस्व की कोई व्यवस्था नहीं थी। लेकिन 2 साल में पुणे की इकाई को भी कई ऐतिहासिक समझौते मिले हैं।
