अग्रणी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) विनिर्माताओं को उम्मीद है कि फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड ऐंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME 2) योजना के तहत चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के मामले में भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा कंपनियों पर कार्रवाई से उद्योग के स्वदेशीकरण को आगे बढ़ाने और देश में ईवी को व्यापक रूप से अपनाने में मदद मिलेगी।
ज्यादातर वाहन विनिर्माताओं का कहना है कि चीनी उत्पादों को भारतीय बताकर गलत तरीके से बेचने वाले मूल उपकरण विनिर्माताओं (OEM) पर रोक से स्वदेशी कंपनियों के लिए समान अवसर पैदा हुआ है।
स्थानीय रूप से निर्मित ईवी के लिए सरकारी प्रोत्साहन का लाभ उठाने के लिए मालदार ओईएम अपने चीनी आयात को घरेलू के रूप उत्पादित श्रेणी में रखकर व्यवस्था से खिलवाड़ कर रहे थे।
वाहन विनिर्माताओं का मानना है कि इस जांच से उन कंपनियों में भरोसा पैदा हुआ है, जो अधिक गुणवत्ता वाले घरेलू उत्पादों को अपना रहे थे।
विक्ट्री इलेक्ट्रिक के चेयरमैन संजय पोपली कहते हैं कि फेम 2 योजना का उद्देश्य देश में ईवी का पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना था। निवेश, रोजगार और प्रौद्योगिकी लाने के बजाय कुछ ओईएम ने चीन से सस्ता कच्चा माल खरीदने पर ध्यान केंद्रित किया। इस कार्रवाई ने अधिक आत्मनिर्भर और स्वदेशी ईवी बाजार को जन्म दिया है।
विक्ट्री इलेक्ट्रिक चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम के उल्लंघन के संबंध में मंत्रालय की जांच वाले 13 ओईएम में से एक थी। बहादुरगढ़ की इस कंपनी को पिछले महीने मंत्रालय ने क्लीन चिट दे दी थी।
केवल विक्ट्री इलेक्ट्रिक ही नहीं, बल्कि पांच अन्य कंपनियों – ओकाया ईवी, काइनेटिक ग्रीन, जितेंद्र न्यू ईवी टेक, ठुकराल इलेक्ट्रिक बाइक्स और एवन साइकिल्स को भी सरकार से क्लीन चिट मिली है।
हालांकि सरकार ने नियमों का उल्लंघन नहीं करने वालों को दोषमुक्त कर दिया है, लेकिन आयातित पुर्जों का इस्तेमाल करने वालों को 469 करोड़ रुपये तक की वसूली के नोटिस भेजे गए हैं। कुल सात कंपनियों – हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, ग्रीव्स की एम्पीयर ईवी, बेनलिंग इंडिया एनर्जी ऐंड टेक्नोलॉजी, रिवोल्ट मोटर्स, एएमओ मोबिलिटी सॉल्युशंस और लोहिया ऑटो को ऐसे नोटिस भेजे गए हैं।