बिजली क्षेत्र में कुशलता और प्रदर्शन में सुधार के लिए वित्त मंत्रालय ने 12 राज्यों के अतिरिक्त उधारी की अनुमति दी है। बिजली क्षेत्र में सुधार को बढ़ावा देने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में राज्यों के लिए 1,43,332 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे।
2021-22 के बजट में घोषित पहल के मुताबिक राज्यों को अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के 0.5 प्रतिशत तक अतिरिक्त उधारी की अनुमति 2021-22 से 2024-25 तक 4 साल के लिए दी गई है। यह अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन राज्यों द्वारा बिजली क्षेत्र में कुछ खास सुधारों को लागू करने पर निर्भर होगा।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘सुधार प्रक्रिया की पहल करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाया गया है। कुछ राज्य आगे आए हैं और उन्होंने किए गए सुधारों का ब्योरा दिया है और वित्त मंत्रालय के विभिन्न मानकों के मुताबिक उपलब्धियां बताई हैं।’ पिछले 2 साल के दौरान राज्यों को अतिरिक्त उधारी की अनुमति से 66,413 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दी गई है।
पिछले 2 साल के दौरान जिन 12 राज्यो के अतिरिक्त उधारी की अनुमति दी गई है, उनमें से पश्चिम बंगाल को सबसे ज्यादा 15,263 करोड़ रुपये मिले हैं। उसके बाद राजस्थान को 11,308 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश को 9,574 करोड़ रुपये मिले हैं।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि 2021-22 और 2022-23 में सुधार की प्रक्रिया पूरी न कर पाने वाले राज्यों को भी 2023-24 में अतिरिक्त उधारी का लाभ मिल सकता है, अगर वे चालू वित्त वर्ष के दौरान सुधार लागू करते हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘बिजली क्षेत्र में सुधार के लिए वित्तीय प्रोत्साहन देने का प्राथमिक मकसद परिचालन और आर्थिक कुशलता में सुधार करना और भुगतान करके बिजली की खपत को प्रोत्साहित करना है।’
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बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के निजीकरण को प्रोत्साहित करने वाले राज्य बोनस अंक पाने के भी पात्र हैं। प्रोत्साहन पाने के लिए राज्यों को निश्चित तौर पर कुछ सुधार करने होंगे, सार्वजनिक क्षेत्र के डिस्कॉम के दायित्वों का बेहतर अनुमान लगाना, वित्तीय व ऊर्जा खातों का समय से प्रस्तुतीकरण और खातों की जांच शामिल है।
राज्यों को बिजली क्षेत्र के वित्तीय मामलो की रिपोर्टिंग में निश्चित रूप से पारदर्शिता दिखानी होगी, जिसमें सब्सिडी का भुगतान और सरकारों के डिस्कॉम की देनदारी दिखाया जाना शामिल है।
प्रत्यक्ष नकदी अंतरण के माध्यम से सब्सिडी भुगतान, क्रॉस सब्सिडी कम करना, नई तकनीक का इस्तेमाल, सरकारी कार्यालयों प्रीपेड मीटर लगाना अन्य मानदंड हैं, राज्य सरकारों को प्रोत्साहन राशि पाने के लिए इनका पालन जरूरी है।
यह योजना कोविड महामारी के वर्षों के दौरान शुरू की गई थी, जिससे कम राजस्व सृजन के संकट से गुजर रहीं डिस्कॉम की सहायता की जा सके। पिछले साल कम से कम 20 राज्यों ने योजना में दिलचस्पी दिखाई थी और आंध्र प्रदेश पहला राज्य था, जिसे अतिरिक्त उधारी की अनुमति मिली थी।