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गेहूं किसानों को बारिश की आस

Last Updated- December 10, 2022 | 12:02 AM IST

तापमान में बढ़ोतरी के कारण उत्तर प्रदेश के गेहूं किसान उत्पादन को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं।
उनका कहना है कि फरवरी माह में अगर बारिश नहीं हुई तो गेहूं उत्पादन में 12-15 फीसदी की गिरावट हो सकती है। गन्ने की कटाई में विलंब के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई लगभग एक माह की देरी के हुई है।
किसानों ने बताया कि सामान्य तापमान में बढ़ोतरी के कारण गेहूं जल्दी परिपक्व हो जाता है। तापमान अगर इसी स्तर पर कायम रहा तो गेहूं में जल्द ही बाल निकलने शुरू हो जाएंगे जिससे फसल प्रभावित होगी। अब किसानों को बारिश से ही कुछ राहत मिल सकती है। अन्यथा उत्पादन में 15 फीसदी से अधिक की गिरावट हो सकती है।
किसानों के मुताबिक पूर्वी उत्तर प्रदेश में मार्च के आरंभ में गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मार्च के आखिर में यह काम शुरू होता है। सामान्य तौर पर एक एकड़ में 17.5 क्विंटल गेहूं की उपज होती है।
गाजियाबाद जनपद के किसान राजबीर सिंह ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस साल दिसंबर माह के आखिर तक गेहूं की बुवाई हुई है और इस कारण भी गेहूं के उत्पादन में कमी के आसार हैं। आम तौर पर इस इलाके में नवंबर के आखिरी सप्ताह तक 60 फीसदी गेहूं की बुवाई का काम पूरा हो जाता है।
किसान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी को लेकर भी बहुत उत्साहित नहीं है। उनका कहना है कि बाजार में पहले ही गेहूं की कीमत 11-11.50 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर है।
ऐसे में 1000 रुपये प्रति क्विंटल से 1080 रुपये प्रति क्विंटल की सरकारी कीमत होने से उन्हें कोई फायदा नहीं मिलने वाला है। सरकार के पास फिलहाल 180.62 लाख टन गेहूं का स्टाक है। पिछले साल 784 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। इस साल गेहूं के रकबे में बढ़ोतरी के कारण बंपर फसल की उम्मीद की जा रही है। 

First Published - February 5, 2009 | 3:05 PM IST

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