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Turmeric trade: भारत का हल्दी व्यापार 62% वैश्विक हिस्सेदारी के बावजूद चुनौतियों से जूझ रहा

इक्रियर की रिपोर्ट में निर्यात बाजारों में स्वीकृति, कीमतों में उतार-चढ़ाव और कम करक्यूमिन स्तर जैसी समस्याओं का खुलासा

Published by
संजीब मुखर्जी   
Last Updated- January 14, 2025 | 10:18 PM IST

हल्दी के वैश्विक कारोबार में भारत की 62 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी होने के बावजूद कई ऐसी चुनौतियां हैं जिससे इसकी वृद्धि प्रभावित हो सकती है। एमवे के सहयोग से इक्रियर द्वारा तैयार और जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक इन चुनौतियों में प्रमुख निर्यात बाजारों में मसालों को स्वीकार नहीं किए जाने, कीमतों में उतार-चढ़ाव के चलते किसानों का हल्दी की खेती से हटना और कंपनियों द्वारा आवश्यक करक्यूमिन स्तर को पूरा न करने जैसे कारक शामिल हैं।

इक्रियर की एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 80 प्रतिशत हल्दी किसानों की सालाना आय का 50 फीसदी से भी कम हिस्सा इस फसल से आता है। यह निष्कर्ष 262 किसानों, 45 एफपीओ और हल्दी की वैल्यू चेन से जुड़ी 69 कंपनियों के सर्वे के आधार पर निकाला गया है।

किसानों की हल्दी से होने वाली आमदनी इसलिए भी कम थी क्योंकि किसानों की निर्भरता धान, सोयाबीन, मक्का, गन्ना और कपास जैसी फसलों की खेती पर बनी रही। किसानों के मुताबिक पिछले तीन साल में हल्दी की खेती में कमी आई है।

First Published : January 14, 2025 | 10:18 PM IST