कृषि एवं सहायक गतिविधियों के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही के दौरान स्थिर मूल्यों पर 3.4 फीसदी वृद्धि रही। इस तरह इस क्षेत्र में लॉकडाउन के महीनों से शुरू हुआ शानदार प्रदर्शन अभी जारी है।
कृषि क्षेत्र का जीवीए चालू मूल्यों पर 7.7 फीसदी अनुमानित है, जिसका मतलब है कि महंगाई का असर करीब 4.3 फीसदी रहा। यह 2020-21 की पहली तिमाही के दौरान दर्ज किए गए जीवीए 2.3 फीसदी से बेहतर है। कृषि एवं सहायक गतिविधियों का जीवीए वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में स्थिर मूल्यों पर 3.4 फीसदी बढ़ा। इस तरह कृषि क्षेत्र दूसरी तिमाही में धनात्मक वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र क्षेत्र रहा है क्योंकि कोविड-19 के चलते लगाए गए लॉकडाउन से अन्य क्षेत्र ऋणात्मक दायरे में आ गए हैं।
हालांंकि कुछ विशेषज्ञों ने चेताया है कि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में कृषि एवं सहायक गतिविधियों के प्रदर्शन को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इन महीनों में बहुत सी फसलें नहीं आती हैं और खरीफ फसलों का वास्तविक असर बाद की तिमाहियों में महसूस किया जाएगा।
हालांकि सरकार ने कहा कि दूसरी तिमाही के अनुमान 2020-21 के खरीफ सीजन के दौरान कृषि उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमानों और दूध, अंडे, मांस एवं ऊन जैसे प्रमुख पशुधन उत्पादों के उत्पादन के अनुमानों पर आधारित हैं। खरीफ उत्पाद के पहले अनुमान सितंबर में जारी हुए थे। इनके मुताबिक 2020-21 में खाद्यान्न उत्पादन 14.45 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहने का अनुमान है। यह 2019-20 के उत्पादन से 0.80 फीसदी अधिक है। दलहन उत्पादन करीब 93.1 लाख टन रहने का अनुमान है, जो 2019-20 के मुकाबले करीब 21 फीसदी अधिक है। तिलहन का उत्पादन 2.57 करोड़ टन अनुमानित है, जो 2019-20 से 15.28 फीसदी अधिक है।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हालांकि मेरा मानना है कि दूसरी तिमाही में कृषि एवं सहायक गतिविधियों के जीवीए की वृद्धि में गैर-कृषि क्षेत्र का ज्यादा योगदान रहा है, जिसमें मुख्य रूप से दूध, मांस एवं अंडे जैसे पशुधन उत्पाद शामिल हैं। दूध, मांस, अंडे आदि का जीवीए में एक बड़ा हिस्सा होता है।’ उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों का पूरा असर और मॉनसून सीजन के आखिरी समय में बारिश बढऩे का असर अगली तिमाहियों में दिखेगा। सबनवीस ने कहा, ‘मेरा मानना है कि पूरे वर्ष में कृषि एवं सहायक गतिविधियों का जीवीए स्थिर कीमतों पर 3.5 से 4.0 फीसदी रहेगा, जो अन्य क्षेत्रों की बदहाल स्थिति को देखते हुए बहुत अच्छा है।’
रबी फसलों की बुआई में अहम बढ़ोतरी से भी यह उम्मीद बंध सकती है कि कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन 2020-21 में अन्य क्षेत्रों से बेहतर बना रहेगा। ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि 27 नवंबर तक रबी फसलों की 3.48 करोड़ हेक्टेयर में बुआई हुई है। यह पिछले साल के मुकाबले 4.02 फीसदी अधिक है क्योंकि मॉनसून के देर तक बने रहने से किसानों को पिछले साल की तुलना में ज्यादा रकबे में बुआई करने में मदद मिली है।
