वनस्पति घी में ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होने के खुलासे के बाद इस उद्योग की हालत खराब है।
कारोबारियों को वनस्पति घी के पहले से सिमटते व्यापार पर खतरे के बादल मंडराते दिख रहे हैं। इस नई मुसीबत से बचने के लिए भारतीय वनस्पति निर्माता संघ (वीएमए) ने 11 फरवरी को आपात बैठक बुलाई है।
वीएमए सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरमेंट (सीएसई) की इस रिपोर्ट का जवाब तैयार कर रहा है।?रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बनने वाले वनस्पति घी में डेनमार्क के घी के मुकाबले 5-12 गुना अधिक ट्रांस फैट होता है, जो कि दिल के लिए बेहद खतरनाक है।
क्या कहना है उत्पादकों का
वीएमए का कहना है कि भारत में वनस्पति घी का उपयोग चालीस सालों से हो रहा है और इसकी सालाना खपत प्रति व्यक्ति एक किलोग्राम से भी कम है, जबकि वनस्पति तेलों की सालाना खपत 120 लाख टन से अधिक है।
भारत में 10 लाख टन से भी कम वनस्पति घी बनता है और इसमें 230-250 इकाइयां जुटी हैं। वीएमए के पदाधिकारियों के मुताबिक, पहले सूरजमुखी और सरसों तेल से वनस्पति घी तैयार होता था, लेकिन अब 99 फीसदी घी कच्चे पाम ऑयल से बनता है, इसलिए उनका कहना है कि वनस्पति घी में ज्यादा ट्रांस फैट का सवाल ही पैदा नहीं होता।
कारोबारियों को डर है कि ट्रांस फैट को लेकर अगर सरकार सख्त गई, तो बची-खुची इकाइयां भी बंद हो जाएंगी। बड़ौदा स्थित अश्विन वनस्पति के निदेशक एमजी चावला कहते हैं, ‘वनस्पति घी का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसलिए भविष्य को देखते हुए पिछले साल से हमने वनस्पति घी का उत्पादन बंद कर दिया।’
चावला के साथ गुजरात के और भी कई वनस्पति तेल निर्माताओं ने वनस्पति घी का उत्पादन बंद कर दिया है। जयपुर स्थित सुदामा ब्रांड निर्माता प्रदीप कहते हैं कि शुद्ध घी और मक्खन में भी फैट है, लेकिन वनस्पति घी पर ही हल्ला हो रहा है। जेएमडी आयल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक कहते हैं कि अब कारोबार इस मामले में सरकारी रुख पर ही निर्भर है।
क्या है ट्रांस फैट
घी जमाने के लिए हाइड्रोजन गैस इस्तेमाल होती है और उसी दौरान ट्रांस फैट बनते हैं। इस दौरान घी को जितना गर्म किया जाता है, ट्रांस फैट की मात्रा उतनी ही अधिक होती है। हाइड्रोजन गैस को मिलाने के दौरान थोड़ी सावधानी बरत कर ट्रांस फैट की मात्रा को कम किया जा सकता है।
विदेशों में वनस्पति घी को जमाने का काम कम आंच पर हाइड्रोजन का मिश्रण कर किया जाता है। यह तकनीक भारत में फिलहाल इस्तेमाल नहीं की जा रही है।
वनस्पति का निकलेगा ‘तेल’
देश की करीब 250 इकाइयों पर खतरा
सालाना 10 लाख टन घी का उत्पादन
व्यापारियों को सरकार के कदम का इंतजार