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सरकार ने माना, दालों के आयात मूल्य से ज्यादा हैं बाजार भाव

Last Updated- December 08, 2022 | 1:09 AM IST

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि फिलहाल दालों के बाजार मूल्य इसके आयातित मूल्य से ज्यादा हैं।


उन्होंने घोषणा की कि बहुत ही जल्द राशन प्रणाली के जरिए जरूरतमंद लोगों को सस्ती  दर पर दालें उपलब्ध कराई जाएगीं। कृषि मंत्री शरद पवार ने यह बात राज्य सभा में भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी द्वारा पूछे गए एक पूरक प्रश्न के जवाब में कही।

पवार ने कहा कि समाज के कमजोर तबकों को राशन प्रणाली के जरिए ही सस्ते में दाल उपलब्ध कराया जा सकता है। इसका कोई दूसरा विकल्प है ही नहीं। उन्होंने बताया कि सरकार एक-डेढ़ महीने में (यानी दिसंबर तक) इस संबध में एक योजना लॉन्च करने का इरादा रखती है।

इस योजना के तहत प्रत्येक राशन कार्डधारी को 10 रुपये प्रति किलो की दर से दाल उपलब्ध कराए जाएंगे। इस तरह राशन प्रणाली में दालों के भाव मौजूदा बाजार भाव के महज 20 से 25 फीसदी होंगे।

कृषि मंत्री का कहना था कि सरकार ने दालों के बाजार भाव नीचे रखने के लिए इसके आयात मूल्य से कम कीमत पर ही इसे बाजार में बेचा है। उन्होंने स्वीकार किया कि इसके बावजूद दालों के मौजूदा भाव इसके आयात मूल्य से कहीं ज्यादा हैं।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने कम कीमत पर आयातित दालों की बिक्री के लिए कई सरकारी ट्रेडिंग फर्मों की नियुक्ति की थी। पवार ने बताया कि 16 अक्टूबर तक इन सार्वजनिक खरीद एजेंसियों जैसे नैफेड, एमएमटीसी, एसटीसी और पीईसी ने करीब 3.52 लाख टन दालों का आयात कर लिया था।

जोशी ने सवाल किया था कि जब उड़द के आयात मूल्य इस साल 28 रुपये प्रति किलो रहे हैं तो कैसे इसका बाजार भाव 60 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा है। जोशी ने कहा था कि यह तब की स्थिति है जब सरकार ने आयातित दालों को बाजार में उतारने के लिए नियुक्त सरकारी एजेंसियों को महज 27.45 रुपये प्रति किलो की दर से दालों की बिक्री की थी।

First Published - October 24, 2008 | 10:46 PM IST

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