अप्रैल और मई में जब भारत कोविड-19 महामारी पर लगाम कसने में जुटा हुआ था तब स्टील कंपनियों के लिए चीन सबसे महत्वपूर्ण निर्यात गंतव्य के तौर पर उभरा। इस अवधि में कुल स्टील निर्यात का 48 फीसदी चीन भेजा गया। जॉइंट प्लांट कमेटी के आंकड़ों के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2020 से 31 मई, 2020 के दौरान चीन को तैयार स्टील का निर्यात 4.40 लाख टन रहा, वहीं अर्धनिर्मित स्टील का निर्यात 10 लाख टन रहा। इस अवधि में तैयार स्टील का कुल निर्यात 17 लाख टन रहा जबकि अर्धनिर्मित स्टील का निर्यात 13 लाख टन। तैयार स्टील के निर्यात के मामले में मात्रात्मक लिहाज से वियतनाम को ज्यादा निर्यात हुआ जबकि अर्धनिर्मित स्टील के निर्यात में चीन की हिस्सेदारी ज्यादा रही।
इक्रा के उपाध्यक्ष जयंत रॉय ने कहा, मौजूदा वित्त वर्ष के पहले दो महीने में तैयार स्टील का भारतीय निर्यात कथित तौर पर सालाना आधार पर करीब 76 फीसदी बढ़ा। उन्होंने कहा, इस बढ़ोतरी में अकेले चीन का योगदान करीब 60 फीसदी र हा और उसने भारत से इस साल अब तक 44 लाख स्टील का आयात किया जबकि पिछले साल यह स्तर नगण्य रहा था। कुल मिलाकर इस साल अप्रैल और मई में स्टील का निर्यात सालाना आधार पर 129 फीसदी बढ़ा क्योंंकि अर्धनिर्मित स्टील के निर्यात में करीब तीन गुने का इजाफा हुआ।
चूंकि देसी मांग करीब-करीब ढह गई, लिहाजा सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के प्राथमिक व द्वितीयक स्टील उत्पादकों ने निर्यात किया।
जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक व विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, चीन को अर्धनिर्मित व हॉट रोल्ड कॉयल का ज्यादा निर्यात हुआ। उन्होंने कहा, अर्धनिर्मित स्टील का निर्यात प्राथमिक व द्वितीयक दोनों तरह के उत्पादकों ने किया। चीन को हमारा निर्यात उतना ज्यादा नहीं रहा।
टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी टी वी नरेंद्रन ने कहा, कंपनियां चीन को निर्यात कर रही थीं क्योंकि मांग काफी ज्यादा थी। चीन को लौह अयस्क व कोयला आज की कीमत पर आयात करने के मुकाबले स्टील का आयात बेहतर लग रहा है।
चीन लौह अयस्क का आयात करने वाले बड़े देशों में से एक है। मार्च के आखिर में 83 डॉलर प्रति टन रहने वाले लौह अयस्क की कीमतें अभी करीब 103 डॉलर प्रति टन है। कोकिंग कोल की कीमतें इस अवधि में हालांकि 146 डॉलर प्रति टन से घटकर 114 डॉलर प्रति टन रह गई है।
इंस्टिट््यूट ऑफ स्टील डेवलपमेंट ऐंड ग्रोथ के महानिदेशक एस बनर्जी ने कहा, चीन में देसी स्टील की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ी हैं। हॉट रोल्ड कॉयल के आयात के मामले में कीमत का अंतर करीब 70 डॉलर प्रति टन था। दूसरी ओर, बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च के कारण मांग थी। उद्योग के अधिकारियों का मानना है कि यह शायद ही टिकाऊ होगा और भारतीय कंपनियों को वैकल्पिक बाजारों पर नजर डालनी चाहिए।
रॉय ने कहा, निर्यात की ऐसी रफ्तार के टिके रहने में संदेह है क्योंंकि चीन खुद के उत्पादन में इजाफा कर रहा है। दुनिया के अन्य भाग में मांग के कमजोर परिदृश्य भी भारतीय स्टील मिलों के लिए चुनौती पैदा करेगा। मई, 2020 में चीन ने 9.23 करोड़ टन कच्चे स्टील का उत्पादन किया, जो मई, 2019 के मुकाबले 4.2 फीसदी ज्यादा है। ज्यादातर देशों ने इसमें गिरावट का सामना किया है।
नरेंद्रन ने कहा, टाटा स्टील का निर्यात घट रहा है और अगले महीने से यह बिक्री का 30-35 फीसदी होगा। जेएसपीएल का निर्यात भी अगले महीने से बिक्री का 30 फीसदी होगा। ग्रामीण बाजार, छोटे शहर और कुछ सरकारी परियोजनाओं के दोबारा शुरू होने से देसी मांग बढ़ रही है।