facebookmetapixel
1 शेयर बंट जाएगा 10 टुकड़ों में! ऑटो सेक्टर से जुड़ी इस कंपनी ने किया स्टॉक स्प्लिट का ऐलान, रिकॉर्ड डेट तयElon Musk की कंपनी xAI ने 500 कर्मचारियों को अचानक निकाला, Grok ट्रेनर्स सकते में!भारत-पाक मैच की विज्ञापन दरों में 20% की गिरावट, गेमिंग सेक्टर पर बैन और फेस्टिव सीजन ने बदला बाजारFY26 में 3.2% रहेगी महंगाई, RBI से दर कटौती की उम्मीद: CrisilDividend Alert: घरेलू उपकरण बनाने वाली इस कंपनी ने AGM में ₹5 के डिविडेंड को दी मंजूरी, जानें डिटेल्सDividend Stocks: 250% का तगड़ा डिविडेंड! फार्मा कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्तेITR Filing: 15 सितंबर तक भरना है इनकम टैक्स रिटर्न, डेडलाइन मिस की तो लगेगा भारी जुर्माना‘पूरा देश आपके साथ है’, हिंसा प्रभावित मणिपुर में बोले PM: अपने बच्चों के भविष्य के लिए शांति अपनाएंमिजोरम को मिला पहला रेलवे लाइन, राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली-आइजोल सीधा जुड़ा; PM ने दिखाई हरी झंडीUpcoming IPO: अगले हफ्ते में खुलेंगे इन कंपनियों के IPO, निवेशक रखें ध्यान

अमेरिका में कच्चे तेल का भंडारण, लगेगा किराया

Last Updated- December 15, 2022 | 4:38 AM IST

भारत की योजना अमेरिका के रणनतिक पेट्रोलियम भंडार में कच्चे तेल का भंडारण करने की है। हालांकि तेल भंडारण करने के लिए भारत को किराया देना पड़ेगा। अधिकारियों ने कहा कि इस कच्चे तेल का इस्तेमाल न सिर्फ आपात स्थिति में किया जाएगा, बल्कि किसी तरह का मूल्य लाभ होने पर व्यापार के लिए भी किया जाएगा। भारत और अमेरिका ने 17 जुलाई को आपातकालीन कच्चे तेल भंडारण पर सहयोग के लिए शुरुआती करार किया है। इसमें भारत द्वारा अमेरिका में कच्चे तेल का भंडारण करने की संभावना भी शामिल है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यह एक अच्छी अवधारणा है, लेकिन इसके साथ कई शर्तें भी जुड़ी हैं।’ सबसे पहले भारत को अमेरिका में तेल भंडारण के लिए किराया देना होगा। यह किराया कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत के ऊपरी स्तर पर होगा। अधिकारी ने कहा कि इसका दूसरा विकल्प है कि हम अपना रणनीतिक भंडार बनाएं। लेकिन इसमें काफी पूंजी खर्च करनी पड़ेगी और निर्माण में कुछ वर्ष लगेंगे। ऐसे में तत्काल रणनीतिक भंडारण के लिए किराया देना ज्यादा अच्छा विकल्प होगा। अमेरिका में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (एसआरपी) का निर्माण और रखरखाव निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है। कोई देश अमेरिका में भंडारित तेल का इस्तेमाल खुद की जरूरत या कीमत के मोर्चे पर फायदा होने की स्थिति में व्यापार के लिए कर सकता है। अधिकारी ने कहा कि यदि कीमतें नीचे आती हैं, तो आपको नुकसान भी होता है। अधिकारी ने बताया कि यदि समुद्री मार्ग बाधित होता है, तो अमेरिका में भंडारण से भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर कोई असर नहीं पडऩे वाला, क्योंकि आप अपने भंडार का लाभ नहीं ले सकते। ‘अमेरिका से कच्चा तेल मंगाने में एक महीने का समय लग जाता है।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में कच्चे तेल का भंडारण एक तरह से कीमतों में उतार-चढ़ाव से बचाव के लिए की जाने वाली हेजिंग है। ‘सभी तरह की हेजिंग की लागत होती है।’
अधिकारी ने कहा कि सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि बड़ी मात्रा में भंडारण के लिए कच्चे तेल की खरीद को अग्रिम भुगतान करना होता है। ऐसे में कंपनियों को काफी बड़ी पूंजी ‘ब्लॉक’ करनी पड़ती है। भारत ने कुछ माह पहले अमेरिका में कच्चे तेल का भंडारण करने की संभावना पर विचार शुरू किया था, लेकिन कोविड-19 के बीच मांग में भारी गिरावट के चलते वह इस दिशा में अधिक प्रगति नहीं कर पाया। मांग घटने की वजह से दुनिया भर के भंडारगृह और यहां तक कि जहाजों के भंडार गृह भी पूरी तरह भर गए थे। हालांकि, अब मांग में सुधार हुआ है, लेकिन अभी यह कोविड-19 के पूर्व के स्तर से कम है।

First Published - July 19, 2020 | 11:42 PM IST

संबंधित पोस्ट