हल्दी में कमजोरी के आसार
हल्दी की बुआई शुरू हो जाने और इसकी फसल के लिए लाभकारी माने जा रहे बारिश के जमकर होने से इस हफ्ते हल्दी की कीमत में कमी होने के आसार हैं।
हल्दी के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों ओस्मानाबाद और निजामाबाद में हल्दी की रोपाई अब शुरू हो चुकी है, जिससे इस मसाले के बाजार भाव में कमी होना तय माना जा रहा है। मौजूदा पखवाड़े में मानसून के कमजोर होने और अच्छी बारिश न होने से पिछले हफ्ते घरेलू बाजार में हल्दी की कीमत में तेजी हुई।
कमोडिटी विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छी बारिश के चलते अब स्थितियों में फर्क आना तय है। इस हफ्ते हल्दी के भाव में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की कमी होने की बात जानकारों द्वारा की जा रही है। ऐंजल कमोडिटीज के एक विश्लेषक का कहना है कि साल 2009 में काफी अच्छा उत्पादन होने के अनुमानों के चलते हल्दी की कीमत में अब नरमी की उम्मीद है। पहले ही मैसूर के इलाके में तय समय से पहले ही मानसून के आने से पर्याप्त बारिश हो चुकी है। इससे इस इलाके में हल्दी की काफी अच्छी बुआई हो सकी है।
हालांकि बाजार चाहे वो घरेलू हो या वैश्विक, हल्दी की मांग भी पहले की तुलना में कम हुई है। इस रुझान से हल्दी बाजार में फिलहाल मंदी का आलम चल रहा है। इसकी बुआई अगस्त के अंत तक चलने का अनुमान है। एनसीडीईएक्स में पिछले हफ्ते अगस्त में डिलिवर होने वाले अनुबंध में अस्थिरता का रुख रहा पर आखिरकार इसमें मजबूती आयी और यह चढ़कर बंद हुआ।
पिछले हफ्ते इसका भाव 4,326 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक लुढ़क गया था। शुरुआत में इसका समर्थन मूल्य 4,396 रुपये रहा और बाद में यह 4,350 रुपये प्रति क्विंटल तक चला गया। शनिवार को अगस्त अनुबंध वाले हल्दी का भाव 4,504 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
ग्वार में सुधार का अनुमान
सट्टेबाजी के लिहाज से सबसे संवेदनशील कृषि जिंसों में से एक ग्वार के भाव में आने वाले हफ्तों में कुछ सुधार होने की संभावना है। इसके मुख्य उत्पादक राज्यों राजस्थान और हरियाणा में अच्छी बारिश होने से ग्वार के कारोबार पर महत्वपूर्ण असर पड़ने की संभावना है। जिंस विशेषज्ञों के अनुसार, चूंकि ग्वार का कारोबार बारिश पर निर्भर करता है कि इसलिए बुआई की वास्तविक स्थिति समझने में कम से कम दो हफ्ते लगेंगे।
जानकारों के अनुसार, बाजार इस समय उलझन में है क्योंकि उसे इसकी बुआई के बारे में अभी कोई साफ तस्वीर नहीं मिल पायी है। उम्मीद की जा रही है कि अगले पखवाड़े राजस्थान समेत अन्य राज्यों में इसकी बुआई की तस्वीर साफ हो जाएगी। पिछले हफ्ते एनसीडीईएक्स में सितंबर अनुबंध के ग्वार बीज का कारोबार 1,846 से 1,935 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हुआ। हालांकि, संकेत मिल रहे हैं कि यदि सामान्य बारिश हुई तो उत्पादक ग्वार की बजाय दूसरे नगदी फसल जैसे कपास की ओर अपना रुख कर सकते हैं। ग्वार के रकबे में कमी होने से जाहिर है कि इसके उत्पादन में भी कमी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले सीजन में ग्वार का कुल उत्पादन 75 लाख क्विंटल रहा था। कारोबारी सूत्रों के अनुसार, अगले कुछ हफ्तों में इसकी कीमत में कमी होने के आसार हैं। जिंस विशेषज्ञों के अनुसार, लंबी अवधि के लिए ग्वार में निवेश करने वालों के लिए ग्वार की कीमतों में कमी आने पर निवेश करना सही रहेगा। बाजार में ग्वार का समर्थन मूल्य फिलहाल 1,845 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर है जबकि इसका रेजीस्टेंस लेवल 1,933 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है। एनसीडीएक्स में बीते हफ्ते अगले महीने के ग्वार के वायदा अनुबंध का भाव 1,829 रुपये प्रति क्विंटल पर चल रहा था।