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RBI’s gold purchase: नए साल में भी आरबीआई को भाया सोना, फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़कर 11 फीसदी के पार पहुंची

केंद्रीय बैंक ने जनवरी में 2.8 टन सोना खरीदा। बीते साल आरबीआई की तरफ से 72.6 टन गोल्ड की खरीदारी की गई थी ।

Last Updated- February 24, 2025 | 2:30 PM IST
Gold

RBI’s gold purchase: सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के बीच आरबीआई ने नए साल की शुरुआत यानी जनवरी में फिर से सोना खरीदा। इससे पहले बीते साल दिसंबर में लगातार 11 महीने की खरीद के बाद केंद्रीय बैंक ने खरीदारी से परहेज किया था। फिलहाल आरबीआई के कुल विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़कर 11 फीसदी के पार (11.31 फीसदी) पहुंच गई है। एक साल पहले यह हिस्सेदारी 7.7 फीसदी थी। इसी अवधि के दौरान देश के कुल फॉरेक्स रिजर्व में फॉरेन करेंसी एसेट (FCAs) की हिस्सेदारी 88.5 फीसदी से घटकर 85.2 फीसदी पर आ गई ।

केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार नए साल की शुरुआत में उसकी तरफ से 2.8 टन सोने की खरीद की गई। जनवरी 2025 के अंत में देश का गोल्ड रिजर्व बढ़कर 879.01 टन पर पहुंच गया। पिछले साल के मुकाबले यह 8 फीसदी ज्यादा है। 2 फरवरी 2024 को देश का गोल्ड रिजर्व 812.33 टन था।

अवधि गोल्ड रिजर्व (टन) गोल्ड रिजर्व (अरब डॉलर )
2 फरवरी 2024 812.33 टन 48.09
27 दिसंबर 2024 876.18 टन 66.27
3 जनवरी 2025 876.18 टन 67.09
10 जनवरी 2025 877.14 टन 67.88
17 जनवरी 2025 877.14 टन 68.94
24 जनवरी 2025 877.14 टन 69.65
31 जनवरी 2025 879.01 टन 70.89

स्रोत: आरबीआई (RBI)

जानकारों के अनुसार बदलते जियो-पॉलिटिकल परिदृश्य के मद्देनजर भारत जैसे विकासशील देश अपने गोल्ड रिजर्व में लगातार इजाफा कर रहे हैं। फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी में लगातार बढ़ोतरी फॉरेक्स रिजर्व को डायवर्सिफाई करने की रणनीति का भी हिस्सा है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली और रुपये में गिरावट के बीच फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी का बढ़ना महत्वपूर्ण है।

इससे पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लगातार सातवें साल 2024 में अपने गोल्ड रिजर्व में इजाफा किया। बीते साल आरबीआई की तरफ से 72.6 टन गोल्ड की खरीदारी की गई। सालाना आधार पर देखें तो 2001 के बाद यह केंद्रीय बैंक की तरफ से सोने की तीसरी सबसे बड़ी खरीद है। इससे ज्यादा खरीदारी 2021 और 2009 में देखने को मिली थी। आरबीआई ने 2021 में 77 टन जबकि 2009 में 200 टन सोना खरीदा था।

कैलेंडर ईयर सोने की खरीद (टन)
2024 72.6
2023 16
2022 33
2021 77
2020 38
2019 32.7
2018 40.5

(स्रोत: आरबीआई)

कीमतें रिकॉर्ड हाई पर

भारत में इस साल अब तक सोने की कीमतों में 14 फीसदी की तेजी आई है जबकि नवंबर और दिसंबर के दौरान कुल मिलाकर कीमतें 6 फीसदी घटी थी। MCX पर 19 फरवरी को बेंचमार्क कीमतें 86,592 रुपये के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई। IBJA के मुताबिक उसी दिन गोल्ड 24 कैरेट (999) स्पॉट मार्केट में 86,733 रुपये के अपने नए शिखर पर दर्ज किया गया। हालांकि इसी अवधि के दौरान ग्लोबल लेवल पर बेंचमार्क कीमतें 10 फीसदी ही बढ़ी है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट की वजह से भारत में कीमतें ज्यादा मजबूत हुई हैं। इस साल अब तक भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1 फीसदी से ज्यादा कमजोर हुआ है।

लगातार तीसरे महीने चीन के केंद्रीय बैंक ने की खरीदारी

इस बीच चीन के केंद्रीय बैंक ने  जनवरी में लगातार तीसरे महीने सोने की खरीदारी की। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) की तरफ से जनवरी 2025 में 5 टन सोने की खरीद की गई। इस तरह चीन में जनवरी के अंत में गोल्ड रिजर्व बढकर 2,285 टन पर पहुंच गया जो उसके कुल फॉरेक्स रिजर्व का 5.9 फीसदी है। पिछले 3 महीने में चीन के केंद्रीय बैंक ने 20 टन सोना खरीदा है। इससे पहले छह महीने के ब्रेक यानी अप्रैल 2024 के बाद पहली बार नवंबर 2024 में चीन के केंद्रीय बैंक ने सोना खरीदा था। पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) की तरफ से नवंबर में 5 टन जबकि दिसंबर में 10 टन सोने की खरीद की गई थी। पूरे कैलेंडर ईयर 2024 की बात करें तो इस दौरान चीन के गोल्ड रिजर्व में 44 टन की बढ़ोतरी हुई। हालांकि 2022 के बाद सालाना आधार पर यह गोल्ड की सबसे कम खरीदारी है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की जीत के बाद बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य (geo-political scenario) के मद्देनजर चीन के केंद्रीय बैंक की तरफ से सोने की खरीदारी जारी रह सकती है। बीते साल अप्रैल में लगातार 18वें महीने चीन के गोल्ड रिजर्व में इजाफा देखा गया था। अप्रैल के दौरान चीन का गोल्ड रिजर्व 2 टन बढ़कर 2,264 टन पर पहुंच गया था। हालांकि चीन के गोल्ड रिजर्व में यह 18 महीने की सबसे कम बढ़ोतरी थी। चीन के केंद्रीय बैंक ने 2023 के दौरान अपने गोल्ड रिजर्व में 225 टन की बढ़ोतरी की थी।

क्यों सेंट्रल बैंक खरीद रहे सोना ?

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के के सर्वे (2024 Central Bank Gold Reserves (CBGR) survey) में भी यह बात सामने आई है कि केंद्रीय बैंकों की तरफ से खरीदारी की सबसे बड़ी वजह लॉन्ग टर्म स्टोर ऑफ वैल्यू यानी इन्फ्लेशन के खिलाफ हेज के तौर पर सोने की भूमिका है। खरीदारी की दूसरी बड़ी वजह इस कीमती धातु का संकट के दौर में प्रदर्शन है। तीसरी वजह पोर्टफोलियो को प्रभावी रूप से डायवर्सिफाई करने में सोने की भूमिका जबकि चौथी वजह डिफॉल्ट को लेकर सोने का जोखिम रहित होना है। जबकि पांचवीं वजह सोने का ऐतिहासिक महत्व (Historical Position) है।

Long-term store of value/inflation hedge: 88%
Performance during times of crisis: 82%
Effective portfolio diversifier: 76%
No default risk: 72%
Historical position: 71%

(Source: WGC)

 

First Published - February 24, 2025 | 2:01 PM IST

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