प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय रिजर्व बैंक के संभावित हस्तक्षेप के चलते सोमवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबर गया। डीलरों ने बताया कि इस सप्ताह एक भारतीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अमेरिका दौरे की खबरों ने रुपये को कुछ भावनात्मक सहारा दिया। सत्र के दौरान उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बाद स्थानीय मुद्रा 88.68 प्रति डॉलर पर लगभग स्थिर बंद हुई जबकि पिछली बार यह 88.69 प्रति डॉलर पर बंद हुई थी।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने बताया, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता की कुछ खबरें आई थीं और आरबीआई पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से रुपये को 88.80 प्रति डॉलर से नीचे जाने से रोक रहा है। उन्होंने कहा, अगर यह स्तर टूटता है तो रुपया 89 प्रति डॉलर या उससे भी ऊपर जा सकता है। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार वार्ता पर ध्यान के मद्देनजर रुपये ने 88.58 प्रति डॉलर और 88.80 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार किया।
सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित पबरी ने कहा, फेडरल दरों में कटौती की संभावना और भारत के व्यापार मोर्चों से सकारात्मक संकेतों के कारण रुपये के लिए कई अनुकूल बातें हो रही हैं। फिर भी भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर संकट बरकरार है और इसमें अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। जब तक कोई कामयाबी नहीं मिलती, रुपये पर बीच-बीच में दबाव आ सकता है, जिससे इसकी बढ़त सीमित हो सकती है।
चालू वित्त वर्ष में स्थानीय मुद्रा में 3.63 फीसदी की गिरावट आई है जबकि कैलेंडर वर्ष में इसमें 3.47 फीसदी की नरमी दर्ज की गई है।
बाजार की धारणा अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में हो रहे बदलावों को लेकर संवेदनशील बनी हुई है और इससे जुड़ी कोई भी खबर मुद्रा में अस्थिरता पैदा कर सकती है। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि रुपये की हालिया कमजोरी, सुरक्षित निवेश की मांग से समर्थित मजबूत डॉलर के बाहरी दबावों और केंद्रीय बैंक द्वारा प्रबंधित घरेलू वजहों को दर्शाती है।