facebookmetapixel
Q2 Results: Tata Motors, LG, Voltas से लेकर Elkem Labs तक; Q2 में किसका क्या रहा हाल?पानी की भारी खपत वाले डाटा सेंटर तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर डाल सकते हैं दबावबैंकों के लिए नई चुनौती: म्युचुअल फंड्स और डिजिटल पेमेंट्स से घटती जमा, कासा पर बढ़ता दबावEditorial: निर्यातकों को राहत, निर्यात संवर्धन मिशन से मिलेगा सहारासरकार ने 14 वस्तुओं पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश वापस लिए, उद्योग को मिलेगा सस्ता कच्चा माल!DHL भारत में करेगी 1 अरब यूरो का निवेश, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग में होगा बड़ा विस्तारमोंडलीज इंडिया ने उतारा लोटस बिस्कॉफ, 10 रुपये में प्रीमियम कुकी अब भारत मेंसुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों के 1 किलोमीटर के दायरे में खनन पर रोकदिल्ली और बेंगलूरु के बाद अब मुंबई में ड्रोन से होगी पैकेज डिलिवरी, स्काई एयर ने किया बड़ा करारदम घोंटती हवा में सांस लेती दिल्ली, प्रदूषण के आंकड़े WHO सीमा से 30 गुना ज्यादा; लोगों ने उठाए सवाल

बरसात बनी धान के लिए काल

Last Updated- December 07, 2022 | 1:40 PM IST

उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में बीते एक सप्ताह से जारी बारिश के बाद 21 जिलों में बाढ़ की स्थिति भयावह हो चली है।


माया सरकार ने जरूरी कदम उठाते हुए इन सभी जिलों को संवेदनशील घोषित कर दिया है। अच्छी बारिश के चलते धान की रोपाई इस महीने के अंत तक पूरी हो जाने की आशा थी, अब थम सी गई है।

अच्छे मौसम को देखते हुए इस साल कृषि विभाग ने करीब 60 लाख हेक्टेयर धान की रोपाई का लक्ष्य रखा था, जिसके 25 जुलाई तक पूरा हो जाने की आशा जताई गई थी। लगातार बारिश के चलते अब तक बलरामपुर, सिध्दार्थनगर, बाराबंकी, गोरखपुर, संत कबीर नगर, बलिया और देवरिया में कई लाख हेक्टेयर फसल बरबाद हो चुकी है।

प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता के अनुसार अति संवेदनशील 11 जिलों में राहत के लिए 3-3 करोड़ रुपये और संवेदनशील 22 जिलों के लिए 2-2 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। गुप्ता के मुताबिक गोरखपुर और सिध्दार्थनगर जिलों में जितना पानी पूरे साल बरसता है, उतना अभी तक बरस चुका है। कई जिलों में बारिश ने पूरी फसल बरबाद कर दी है तो प्रदेश के कुछ हिस्सों से धान पौधे गलने की भी खबर है। कृषि वैज्ञानिकों ने ऐसे किसानों को फिर से रोपाई की सलाह दी है।

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि धान गल जाने की दशा में खाली खेतों में उड़द और मूंग बोकर नुकसान को कुछ हद तक टाला जा सकता है। इसके अलावा कम समय में तैयार होने वाली धान की प्रजाति को सीधे बोकर भी नुकसान की भरपाई की जा सकती है। कृषि निदेशक राजित राम वर्मा ने भी ऐसी ही सलाह किसानों को दी है। वर्मा के अनुसार इस समय बाजार में धान की ऐसी प्रजातियां उपलब्ध हैं, जो 130 से 140 दिन में तैयार हो जाती हैं।

इससे समय की बचत भी होती है और साथ में उपज को नुकसान कम होता है। मौसम विभाग ने अपनी भविष्यवाणी में बारिश के कुछ और दिन जारी रहने का अंदेशा जताया है। अगर बारिश एक सप्ताह और जारी रहती है, तो धान की फसल को भारी नुकसान होने की पूरी आशंका है।

First Published - July 25, 2008 | 1:36 AM IST

संबंधित पोस्ट