महंगाई से थाली हुई खाली

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:46 PM IST

कुछ दिनों पहले तक भात-दाल-तरकारी खाना आम आदमी के वश की  बात थी। लेकिन बढ़ती महंगाई ने दाल व तरकारी को भात से अलग कर दिया है।


वैसे ही सरसों तेल व चीनी भी महंगाई की पिच पर लगातार चौके लगा रही है। अन्य कई चीजों की बिजाई के रकबे को देखें तो आने वाले समय में उनकी कीमतों में भी कमी के बजाए तेजी ही दर्ज की जाएगी।

अगले दो महीनों तक मसालों के भाव में भी गिरावट के कोई आसार नहीं है। यानी कि खरीफ फसल की आवक शुरू होते ही मुद्रास्फीति में कमी की सरकारी संभावना धराशायी होती नजर आ रही है।

दाल : विभिन्न राज्यों के एपीएमसी से जारी भाव के मुताबिक बीते एक सप्ताह के दौरान देश भर में अरहर दाल की औसत कीमत में 300 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा हुआ है। कमोबेश यही हाल मसूर की दाल का भी है। दाल मिल मालिकों के मुताबिक इस साल विभिन्न दालों की बिजाई पिछले साल के मुकाबले कम है। इसलिए कीमत में तेजी अभी से शुरू हो गयी है।

पिछले साल के मुकाबले अरहर की बिजाई 3 लाख हेक्टेयर कम है, वैसे ही मूंग व उड़द में क्रमश: 7 व 3 लाख हेक्टेयर की कमी आयी है। हालांकि सरकार दाल की कीमतों पर अंकुश रखने के लिए लगातार इसका आयात कर रही है।

सब्जियां : थोक बाजार में इन दिनों किसी भी सब्जी की कीमत 20 रुपये प्रति किलोग्राम से कम नहीं है। आम उपभोक्ता तक पहुंचने में इसकी कीमत में कम से कम और प्रति किलोग्राम 10 रुपये का इजाफा हो जाता है। आजादपुर मंडी के सब्जी कारोबारियों के मुताबिक देश के विभिन्न हिस्सों में  बाढ़ के कारण सब्जी जबरदस्त महंगी हो गयी है। सामान्य दिनों के मुकाबले आवक में 70 फीसदी की कमी आ गयी है। उनका कहना है कि अगले डेढ़ महीने तक सब्जी के दाम आसमान पर ही रहेंगे।

वनस्पति तेल : वनस्पति तेल में पाम ऑयल की कीमत भले ही 18-20 रुपये प्रति किलोग्राम फिसल गयी है, लेकिन सरसों के तेल में तेजी बरकरार है। कारण यह है कि थोक मंडी के कारोबारी व आयातकों ने गिरे हुए दाम पर पाम का आयात करना बंद कर दिया है। पाम के पर्याप्त मात्रा में आयात के बाद ही सरसों तेल के भाव नीचे आ सकते है। क्योंकि सरसों तेल की आपूर्ति बाजार में मांग के मुकाबले कम है। सरसों के वायदे में भी तेजी कायम है।

चीनी : दाम बढ़ने के कारण इस साल चीनी की मिठास लोगों को कम लगेगी। किसानों को समय पर गन्ने की कीमत नहीं मिलने से उन्होंने गन्ने की बिजाई कम की। गन्ने की बिजाई में लगभग 9 लाख हेक्टेयर की कमी आयी है। उधर चीनी की कीमत में बढ़ोतरी शुरू हो चुकी है। आने वाले त्योहारी मौसम को देखते हुए चीनी एक्सप्रेस पर शायद ही ब्रेक लग पाए।

मोटे अनाज : मोटे अनाज में मक्के के निर्यात पर पाबंदी के बाद इसके भाव थोड़े जरूर गिरे, लेकिन अब इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है। अगस्त के पहले सप्ताह में इसके औसत दाम 880 रुपये प्रति क्विंटल तो दूसरे व तीसरे सप्ताह में यह बढ़ोतरी के साथ 907 व 938 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए। कुल मोटे अनाज के बिजाई रकबे में भी पिछले साल के मुकाबले कमी आयी है। पिछले साल यह 187 लाख हेक्टेयर था जो घटकर 164 लाख हेक्टेयर हो गया।

एक हफ्ते के दौरान अरहर दाल की कीमत में 300 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा
सब्जियों की आवक में 70 फीसदी की कमी, कीमतों में उछाल
पाम ऑयल नरम, पर सरसों तेल में तेजी बरकरार
गन्ने का बोआई क्षेत्र घटा, चीनी के दाम बढ़ने के आसार

First Published : August 20, 2008 | 1:45 AM IST