जिंसों के वायदा बाजार से लाल झंडा शायद उखड़ने ही वाला है। लिहाजा प्रतिबंधित खाद्य पदार्थों का वायदा फिर से शुरू होने की पूरी उम्मीद है।
इसी आस को लेकर सटोरियों ने वायदा बाजार में अपना निवेश बढ़ा दिया है। पाबंदी हटने के पीछे कीमतों पर अंकुश नहीं लगना भी एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है। अब सबकी निगाहें 22 जुलाई पर टिकी हैं। सटोरियों के मुताबिक दो महीने पहले चार खाद्य पदार्थों के वायदा पर पाबंदी सरकार ने वाम दलों के दबाव में आकर लगायी थी।
वायदा जरूरतों की तहकीकात करने वाली अभिजीत सेन कमेटी ने भी खाद्य वस्तुओं के वायदा कारोबार पर पाबंदी की सिफारिश नहीं की थी। फिर भी सरकार ने चना, आलू, रबर व सोया तेल के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगा दी। इस प्रतिबंध की अवधि अगस्त में समाप्त हो रही है।
पिछले साल सरकार ने चावल, गेहूं, टूअर व उड़द के वायदा पर रोक लगा दी थी। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के उत्तर व पूर्व जोन के प्रमुख आर. रघुनाथन कहते हैं, ‘सरकार बचती है तो पाबंदी हटने की पूरी संभावना है। इन्हीं कारणों से बाजार भी तेज हो ग या है और कारोबार की मात्रा भी बढ़ी है।’ एमसीएक्स के एक अधिकारी कहते हैं, ‘अब सरकार नहीं भी रहती है तो वामदल वायदा बाजार को रोकने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रहेंगे। इन्हीं संभावनाओं के मद्देनजर सटोरियों ने जिंसों में जमकर निवेश करना शुरू कर दिया है।’
जिंस एक्सचेंज एमसीएक्स व एनसीडीईएक्स के कारोबार में पंद्रह दिनों के दौरान लगभग 12,000 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। गत 9 जुलाई को एमसीएक्स का कुल कारोबार 18,000 करोड़ रुपये का था जो 15 जुलाई को लगभग 28,000 करोड़ रुपये का हो गया। एनसीडीईएक्स ने गत 1 जुलाई को 2001.44 करोड़ रुपये का कारोबार किया था जो 16 जुलाई को 3185 करोड़ रुपये का रहा।
वायदा बाजार के विशेषज्ञों के मुताबिक, जिंसों के वायदा पर रोक कीमत पर अंकुश के लिए लगायी गयी थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आलू के वायदा पर रोक से तो उल्टा किसानों को नुकसान हो गया। आलू की कीमत इसलिए कम हुई कि पैदावार इस साल डेढ गुना ज्यादा हो गयी।