कमोडिटी

निवेशकों के लिए मौका! डॉलर पर नहीं, अब दुनिया को सोने पर भरोसा – केंद्रीय बैंकों ने बढ़ाया भंडार

अपनी वित्तीय स्थिति को दमदार रखने के लिए केंद्रीय बैंक प्रतिकूल समय के दौरान अपने भंडार को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से तेजी से सोना खरीद रहे हैं।

Published by
बीएस संवाददाता   
Last Updated- April 14, 2025 | 10:16 PM IST

हाल के वर्षों में केंद्रीय बैंकों ने बढ़ती महंगाई, कम होती ब्याज दर और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण अपने स्वर्ण भंडार में उल्लेखनीय वृद्धि की है। साल 2024 में केंद्रीय बैंकों ने वैश्विक स्वर्ण भंडार में 1,045 टन सोना जोड़ा है। स्वर्ण भंडार में इतनी भारी वृद्धि प्रमुख आरक्षित परिसंपत्ति के तौर पर सोने की ओर रणनीतिक बदलाव दर्शाती है, जो दुनिया भर में डी-डॉलरीकरण की प्रवृत्ति और भूराजनीतिक तथा आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच मजबूती बरकरार रखने के प्रयासों के अनुरूप है।

अपनी वित्तीय स्थिति को दमदार रखने के लिए केंद्रीय बैंक प्रतिकूल समय के दौरान अपने भंडार को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से तेजी से सोना खरीद रहे हैं। यह कवायद मुख्य रूप से चीन ने शुरू की थी, जिसका उद्देश्य दुनिया भर की मुद्रा बाजार पर हावी रहने वाले डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करना था। इस रणनीति का एक और मुख्य कारण है कि मुद्रा में उतार-चढ़ाव और आर्थिक अस्थिरता के दौरान सोना ही बचाव का काम करता है। आज के बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव वाले माहौल में सोने को एक विश्वसनीय निवेश साधन के तौर पर देखा जाता है, जो किसी भी मुद्रा अथवा सरकार से स्वतंत्र रहता है।

क्या करना चाहिए निवेशकों को

कामा ज्वैलरी के प्रबंध निदेशक कॉलिन शाह ने कहा, ‘सोने को सुरक्षित परिसंपत्ति वर्ग माना जाता है। इसकी हमेशा मजबूत मांग होती है और आर्थिक अनिश्चितता के दौरान इसमें निवेश भी बढ़ जाता है। ट्रंप द्वारा जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा के बाद दुनिया भर में भारी उठा-पटक देखने को मिली, जिससे निवेशक अब इंतजार करने लगे हैं।’

आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के निदेशक और उत्पाद एवं अनुसंधान प्रमुख चेतन शेनॉय का कहना है, ‘निवेशक के पूरे पोर्टफोलियो को देखना जरूरी है। हमारा सुझाव है कि निवेशक इक्विटी से डेट/गोल्ड में 80:20 अनुपात में परिसंपत्ति आवंटन के साथ-साथ संतुलित पोर्टफोलियो बरकरार रखें। मगर कुल मिलाकर सोना किसी भी पोर्टफोलियो का 5 से 10 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए।’

शेयरों के मुकाबले सोना भी लगातार कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर रहा है। बीते पांच वर्षों के दौरान सोने के रिटर्न में भी काफी उतार-चढ़ाव आया है और यह 1.73 फीसदी के निचले स्तर पर भी है, जो इसकी अस्थिरता दर्शाता है। बाजार में हालिया उतार-चढ़ाव और मांग में वृद्धि के मद्देनजर सोने की कीमतें लगातार अप्रत्याशित हैं, जो इसे निफ्टी के मुकाबले निवेश के लिए कम भरोसेमंद परिसंपत्ति वर्ग बनाती है। निफ्टी ने बीते 25 वर्षों में स्थिर और लगातार रिटर्न दिया है।

यह भी देखने को मिला है कि भारतीय परिवारों और निवेशकों का दुनिया भर के निवेशकों के मुकाबले सोने में अधिक निवेश है। शेनॉय ने कहा, ‘ अगर हम सोने के मुकाबले निफ्टी 50 के जोखिम समायोजित रिटर्न को देखें तो पाएंगे कि निफ्टी ने उच्च दक्षता अनुपात के साथ 5 साल की समयसीमा में जोखिम को समायोजित करते हुए बेहतर रिटर्न दिया है। इसलिए, इक्विटी में अधिक निवेश से निवेशक को बेहतर रिटर्न को मुनाफा मिलेगा।’

शाह ने कहा, ‘आने वाले समय में चार कारणों से सोने की कीमतों में वृद्धि होगी। इनमें, व्यापार युद्ध के कारण जारी अनिश्चितता और आगे की वृद्धि, विकसित देशों खासकर अमेरिका में मंदी का जोखिम, रूस और यूक्रेन तथा पश्चिम एशिया के बीच भू-राजनीतिक तनाव और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोना खरीदना शामिल होगा। इन सभी कारणों से सोने की कीमतों में इजाफा होगा, जिससे यह लंबी अवधि में और चमकेगा। इसलिए अभी सोने में निवेश करना उचित है क्योंकि यह पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखता है और संभावित नुकसान से भी बचाता है। हम घरेलू स्तर पर सोने की कीमत 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंचने फिर से संभावना जता रहे हैं।’

First Published : April 14, 2025 | 10:10 PM IST