छत्तीसगढ़ के सेकंडरी इस्पात निर्माताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी इकाइयां कच्चे माल की कमी के कारण बंद होती है तो वे नैशनल मिनेरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी) के खानों से लौह अयस्क का परिवहन नहीं होने देंगे।
उद्योगपतियों ने निर्णय लिया है कि अगर एनएमडीसी प्रबंधन उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करता है तो वे कड़ा रुख अख्तियार करेंगे। उनकी मांगों में लौह अयस्क की कीमतों को और कम करना भी शामिल है।
देश के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक और निर्यातक एनएमडीसी के तीन पूर्णत:यंत्रचालित खानों में से दो इस राज्य में स्थित हैं। एनएमडीसी के बोर्ड ने गुरुवार को लौह अयस्क की कीमतों में 25 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया है। नई कीमतें एक दिसंबर से प्रभावी हो गई हैं।
लेकिन राज्य के संकंडरी इस्पात निर्माताओं, जिन्हें एनएमडीसी 30 लाख टन लौह अयस्क उपलब्ध कराता है, ने इस निर्णय को मानने से इनकार कर दिया है। स्थानीय उद्योगपतियों का दावा है कि वे राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड और एस्सार स्टील के बाद एनएमडीसी से लौह अयस्क खरीदने वाले तीसरे सबसे बड़े खरीदार हैं।
छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन निर्माता संघ के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने कहा, ‘एक महत्वपूर्ण बैठक में उद्योगपतियों ने एनएमडीसी पर दबाव और बढ़ाने का निर्णय किया है ताकि कीमतों में आगे और कटौती हो और वह 1,672 रुपये प्रति टन के स्तर पर आ जाए।’
इस्पात मिल मालिकों की एक मांग यह भी है उन पर बकाया 130 करोड़ रुपये से एनएमडीसी उन्हें मुक्त कर दे क्योंकि एनएमडीसी ने अक्टूबर महीने में लोह अयस्क की कीमतों में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी जो अप्रैल से प्रभावी की गई थी।
कीमतों में बढ़ोतरी के बाद स्थानीय उद्योगपतियों ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी से कच्चा माल (लौह अयस्क) खरीदना बंद कर दिया था। हालांकि, एसोसिएशन के सदस्यों ने एनएमडीसी पर कीमत करने संबंधी दबाव बढ़ाने के लिए बहिष्कार जारी रखने की मांग की है।
उद्योगपतियों ने अपना विरोध चरम पर प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि अगर स्थानीय उद्योग कच्चे माल की कमी के कारण बंद होते हैं तो वे राज्य से लौह अयस्क का परिवहन पूरी तरह ठप्प कर देंगे।