रोज आसमान को छू रही खाद्य तेल की कीमतों के बीच इस बार उत्तर प्रदेश में फसल के सीजन में सरसों रिकार्डतोड़ महंगे दाम पर पहुंच गई है। खुले बाजार में उत्तर प्रदेश में सरसों की कीमत 7000 रुपये क्विंटल तक जा पहुंची है। किसान दाम और बढऩे की आस में अपनी तैयार फसल बेचने के लिए बाजार में भी कम ही ला रहे हैं। प्रदेश के शहरों में थोक गल्ला मंडियों में किसानों का सरसों और लाही (काली सरसों) 55 रुपये किलो तक खरीदी जा रही है। कारोबारियों का कहना है कि सरसों के दामों में तेजी से साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में तेल के दाम नीचे गिरने वाले नहीं हैं।
उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती कर पीली क्रांति लाने वाले बुंदेलखंड में गुरुवार को खुले बाजार में सरसों 65 से 70 रुपये किलो तक बिकी है वहीं किसानों को 60 रुपये तक का भाव मिला है। यह हाल तब है जबकि सरसों फसल कट कर अभी बाजार में आई है। इस बार प्रदेश में सरसों की खेती का रकबा भी बढ़ा है और बारिश, पाला व ओलावृष्टि से फसल भी खराब नहीं हुई है। गल्ला मंडी के आढ़तियों का कहना है कि भरपूर पैदावार के बाद भी इस बार बाजार में सरसों बिकने को कम आ रहा है। आमतौर पर इन दिनों राजधानी की गल्ला मंडी से तीन से चार ट्रक सरसों बिकने के लिए आ जाती थी, पर अब तो बमुश्किल एक ट्रक ही आ रही है।
किसान रमेश वर्मा के मुताबिक सुल्तानपुर मंडी में पिछले साल जहां सरसों की कीमत 35 से 40 रुपये प्रति किलो हुआ करता था वही इस बार यह 50 से 55 रुपये प्रति किलो हो गया है। फिलहाल सुल्तानपुर मंडी में काली सरसों 50 रुपये और पीली सरसों यानी लाही 53 से 54 रुपये प्रति किलो बिक रही है। कीमतों की बढ़ोतरी पर वर्मा का कहना है कि जिस तरह पिछले साल से अभी तक सरसों के तेल में उछाल देखने को मिला उससे बड़े किसानों को मुनाफा की आस और बढ़ी है और वह सरसों को रोक कर रखे हुए हैं। इसी तरह छोटे किसान, जो अपनी जरूरतों को चलाने के लिए सीजन में सरसों बेच कर पैसा लेते थे वह इस बार महंगे सरसों के तेल को खरीद कर खाने से बचने के लिए नहीं बेच रहे हैं जिसकी वजह से बाजार में आवक कम है और कीमत बढ़ी है।
बलरामपुर के किसान कर्ण सिंह का कहना है कि सरसों के तेल में बीते एक साल से तेजी का रुख देखने को मिल रहा है और यही कारण है कि और मुनाफे की आस में लोग सीजन में फसल बेंचने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में सरसों की खेती का रकबा और भी बढ़ेगा। लखनऊ के याहियागंज के तेल कारोबारी आशीष अवस्थी बताते हैं कि इस बार खाद्य तेलों के आयात में आई दिक्कतों के चलते दाम ऊंचे हैं और इसका असर सरसों पर भी पड़ा है।