facebookmetapixel
IndusInd Bank की बढ़ सकती है मुश्किलें! SFIO ने ₹1,960 करोड़ की अकाउंटिंग गड़बड़ी की जांच शुरू कीAQI में सुधार के बाद दिल्ली-एनसीआर में GRAP- IV की पाबंदियां हटींHousing Sale Q4 2025: इस साल त्योहारों पर भी कम बिके मकान, 17 तिमाहियों में सबसे कमजोर रही बिक्रीसरकार ने ग्राम पंचायतों को खास ग्राम सभा बुलाने का निर्देश दिया, समझाई जाएगी VB-G RAM G योजना की मुख्य बातेंWhatsapp पर हैकिंग का नया खतरा! सरकार ने दी चेतावनीमोतीलाल ओसवाल की 2 शेयरों पर BUY रेटिंग, 20% तक अपसाइड के टारगेटSilver ETF का धमाका! 128% रिटर्न के बाद अब मुनाफा बुक करें या जारी रखें निवेश?2026 में रिटर्न का किंग बनेंगे लार्ज कैप फंड्स? एक्सपर्ट्स ने बताई निवेश की नई स्ट्रैटेजीCabinet Decision: दिल्ली मेट्रो के विस्तार को मंजूरी, 13 नए स्टेशन जुड़ेंगे; ₹12,015 करोड़ होंगे खर्चDelhi Pollution: बढ़ते प्रदूषण के बीच दिल्ली HC ने केंद्र को फटकारा, कहा- एयर प्यूरीफायर पर 18% GST बोझ है

एमसीएक्स के छह नए कोल्ड स्टोरेज

Last Updated- December 05, 2022 | 4:27 PM IST

आलू के वायदा कारोबार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) ने अपने कोल्ड स्टोरेजों की संख्या में इजाफा किया है। पश्चिम बंगाल में कोल्ड स्टोरेजों की संख्या पहले 6 थी, जो बढ़कर इस साल 12 हो गई है।
कंपनी इन्हें डिलीवरी सेंटर के नाम से संबोधित करती रही है। कंपनी अब हुगली समेत बाकुड़ा, वर्धमान और मेदिनीपुर से भी कोल्ड स्टोरेजों का संचालन करेगी। नए स्टोरेजों को पहले से मौजूद स्टोरेजों के मालिकों को ही फ्रैंचाइजी समझौते के तहत संचालित करने को कहा जाएगा। यानी की एमसीएक्स के पास इन स्टोरेजों का मालिकाना हक नहीं होगा।
गौरतलब है कि इन कोल्ड स्टोरेजों की धारण क्षमता 3 से 5 लाख बोरों की है और प्रत्येक बोरे में 50 किलो आलू रखा जा सकता है। इस वक्त एमसीएक्स के जरिए औसतन 10 करोड़ रुपये के आलू का कारोबार किया जा रहा है।
कंपनी अपने कारोबार से किसानों को भी फायदा पहुंचाना चाहती है। लिहाजा, वह किसानों को प्रशिक्षण भी मुहैया कराती है। इस साल उसने तकरीबन 27 किसान के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए हैं।
इन कार्यक्र्रमों को उन क्षेत्रों में संचालित किया गया, जहां कंपनी के  डिलिवरी सेंटर पहले से मौजूद हैं।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल में इस बार आलू का कारोबार कुल 3 हजार करोड़ रुपये का रहा, लेकिन इस कारोबार में ज्यादा हिस्सेदारी व्यापारियों और कोल्ड स्टोरेजों के मालिकों की रही। किसान अपनी सीमित पहुंच और पारंपरिक आपूर्ति व्यवस्था के चलते अपनी हिस्सेदारी दर्ज करने में नाकाम रहे।
उनकी मार्केटिंग भी दमदार नहीं होने के कारण किसान एक्सचेंज के जरिए कारोबार का फायदा भी नहीं उठा पाते। 

First Published - March 6, 2008 | 7:51 AM IST

संबंधित पोस्ट