भारत में पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर अनिवार्य चेतावनी फ्रंट ऑफ पैकेज लेबलिंग (FOPL) की व्यवस्था की मांग बढ़ने के साथ आधुनिक तकनीक का भी समावेश जोरों पर हो रहा है। खाद्य पदार्थ पैकेट में लगने वाला क्यूआर कोड उत्पाद की पूरी जानकारी देने के साथ भविष्य में सीधे कंपनी के प्रतिनिधि से जानकारी लेने का भी जारिया होगा। इस पर कंपनियां काम करना शुरु कर दी है जो अगले कुछ महीनों में काम करना शुरु कर देगा।
सरकार की तरफ से जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर ऐसे लेबल लगाए जाएं जो समझने में सरल और पढ़ने लायक दिखने वाले हों। इसके बावजूद भी कई उत्पादों में उपभोक्ताओं के लिए उपयोगी चेतावनी स्पष्ट नहीं लिखी रहती है। इस पर इंटरनैशनल ट्रेड ऐंड बिजनेस रिलेशंस के चेयरमैन एवं वर्ल्ड पैकेजिंग ऑर्गानाइजेशन के ग्लोबल ब्रांड एंबेस्डर चक्रवर्ती एवीपीएस कहते हैं कि लेबलिंग में तेजी से सुधार हुआ है उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती जागरुकता की वजह से कंपनियां अब पूरी जानकारी देना शुरु की है। बड़े ब्रांड अपने पैकेट में क्वू आर कोड़ छाप रहे हैं जिसको स्कैन करने से खाद्य पदार्थ के उत्पादन और उसमें उपयोग की गई सामाग्री की मात्रा की जानकारी हो जाती है।
चक्रवर्ती कहते हैं कि उपभोक्ताओं को अब पूरी जानकारी चाहिए, यह बात कंपनियां भी समझ रही हैं इसीलिए जल्द ही नई तकनीक क्वू आर कोड को जारी करेगी। इससे उपभोक्ता कंपनी के प्रतिनिधि से तुरंत विडियो कॉलिंग के जरिए जुड़ सकेंगे, संबंधित उत्पाद से जुड़ी कोई भी जानकारी या सवाल वह पूछ सकेंगे। इस तकनीक का उपयोग जर्मनी की कुछ कंपनियों ने शुरु किया है। भारत में कई कंपनियां इसकी तैयारी में लगी हुई हैं, हालांकि कंपनियों का नाम बताना जल्दबाजी होगा लेकिन यह तकनीक जल्द ही भारत में होगी।
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के पश्चिमी जोन की संयुक्त निदेशक जीथा केके कहती हैं कि डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों पर स्पष्ट चेतावनी लेबल का मकसद उपभोक्ताओं को उनमें मौजूद चीनी, नमक और संतृप्त वसा की मात्रा से अवगत कराना है। इस कदम से उपभोक्ता अस्वस्थकर खाद्य पदार्थों के सेवन के प्रति हतोत्साहित हो सकते हैं। इसके लिए पैकिंग, लेबलिंग के साथ टेस्टिंग की भी बात कही गई है। जांच कराने में देरी न हो इसके लिए कई निजी लैबों को भी FSSAI ने अधिकृत किया है। देश में लैब की कमी पर वह कहती हैं कि सरकार इस पर गंभीर है लेकिन फिलहाल कोई कमी नहीं है। FSSAI लैब में हर महीने करीब एक हजार नमूनों के जांच के लिए आते हैं जबकि यहां हर दिन 200 नमूनों की जांच हो सकती है। पैकेजिंग वह गतिविधि है जिसमें किसी उत्पाद के लिए रैपर, कंटेनर, बॉक्स आदि का डिजाइन और निर्माण शामिल होता है। जबकि लेबलिंग पैकेजिंग सामग्री या उत्पाद पर सभी जानकारी का प्रदर्शन है।
इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक (MD) योगेश मुद्रास ने कहा कि फूड इंग्रीडिएंट्स और प्रोपैक इंडिया एक्सपोज खाद्य सामग्री और खाद्य पैकेजिंग उद्योगों से सर्वश्रेष्ठ नवाचारों को एक साथ लाने का काम करता है। ये उद्योग खाद्य चक्र की रीढ़ हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि उपभोक्ताओं को सुरक्षित, पौष्टिक और आकर्षक खाद्य उत्पादों तक पहुंच प्राप्त हो। उपभोक्ताओं की लगातार बदलती मांगों और नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दोनों उद्योग लगातार विकसित हो रहे हैं। हम ऐसे समाधान विकसित करने के लिए खाद्य निर्माताओं और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर सहयोग करते हैं जो न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं बल्कि समग्र उपभोक्ता अनुभव को भी बढ़ाते हैं।
इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया की B2B प्रदर्शनी एफआई इंडिया एवं प्रोपैक इंडिया में खाद्य और पेय सामग्री से जुडे आपूर्तिकर्ताओं और अनुसंधान, विकास, उत्पादन, पैकेजिंग और लेबलिंग उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का जमावड़ा लगा जिसमें खाद्य सामग्री और पैकेजिंग व लेबलिंग समाधानों में नए उत्पादों और सेवाओं की एक विविध श्रृंखला पेश की गई। एक्सपो में नीदरलैंड, डेनमार्क, फ्रांस, बेल्जियम, अमेरिका, पोलैंड, जापान, हांगकांग, सिंगापुर और थाईलैंड सहित देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।