India Gold Demand, World Gold Council Report: कीमतों में तेजी की वजह से भारत में सोने की चमक फीकी पड़ती दिख रही है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-जून तिमाही में सोने की मांग 149.7 टन रही जो पिछले साल की इसी अवधि के 158.1 टन के मुकाबले 5 प्रतिशत कम है। अप्रैल-जून 2024 में कीमतों के लिहाज से मांग 93,850 करोड़ रुपये रही जो पिछले साल की समान अवधि के 82,530 करोड़ रुपये की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है।
डब्ल्यूजीसी में भारत के लिए क्षेत्रीय मुख्य कार्याधिकारी सचिन जैन ने कहा, ‘कैलेंडर वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में भारत की स्वर्ण मांग थोड़ी सी नरम पड़ी। इसकी वजह सोने की ऊंची कीमतें रहीं जिससे उपभोक्ता खरीदार में सुस्ती आई।’ सोने की कीमतें जून तिमाही में एक साल पहले की तुलना में 18 प्रतिशत बढ़कर 2,338.2 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गईं जिनने इस दौरान 2,427 डॉलर प्रति औंस का रिकॉर्ड भी बनाया। कीमतों में दिसंबर 2023 की तिमाही के मुकाबले करीब 13 प्रतिशत तक की तेजी आई थी।
ऊंची कीमतों और आम चुनाव तथा भीषण गर्मी के असर की वजह से भारत में आभूषण मांग 17 प्रतिशत घटकर 107 टन रह गई। डब्ल्यूजीसी का कहना है कि यह कैलेंडर वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में महामारी के प्रभाव के बाद से आभूषण क्षेत्र के लिए किसी कैलेंडर वर्ष की सबसे कमजोर दूसरी तिमाही थी। हालांकि अक्षय तृतीया और गुडी पड़वा के त्योहारों ने अस्थायी रूप से बढ़ावा दिया लेकिन ऊंची कीमतों ने उपभोक्ता धारणा को कमजोर रखा।
अप्रैल-जून में निवेश की मांग 46 प्रतिशत बढ़कर 43.1 टन हो गई जो 2014 के बाद दूसरी तिमाही में सबसे अधिक है। डब्ल्यूजीसी ने कहा है कि बजट 2024-25 में सोने पर आयात शुल्क में 9 प्रतिशत की कटौती से सितंबर से शुरू होने वाले मुख्य त्योहारी सीजन से पहले जुलाई तिमाही में मांग में सुधार आने की उम्मीद है। अच्छे मॉनसून से भी मांग में सुधार होगा। पूरे वर्ष की मांग के लिए हमारा अनुमान 700 से 750 टन के बीच है।
वैश्विक रूप से सोने की मांग (ओटीसी को छोड़कर ) सालाना आधार पर 6 प्रतिशत घटकर 929 टन रह गई क्योंकि आभूषणों की खपत में तेज गिरावट अन्य क्षेत्रों की मांग में मामूली वृद्धि से अधिक रही। वैश्विक रूप से आभूषण बिक्री सालाना आधार पर 19 प्रतिशत घटकर जून तिमाही में 391 टन के चार वर्षीय निचले स्तर पर रह गई। डब्ल्यूजीसी ने कहा कि केंद्रीय बैंकों ने अधिक सोना खरीदा और उनकी शुद्ध खरीद पिछले वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत बढ़कर 184 टन हो गई।