केंद्र सरकार ने आज एथनॉल की तीन श्रेणियों की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला किया है, जो अलग अलग स्रोतों से मिलता है। इनके दाम 1.27 से 2.55 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं, जो 2021-22 सत्र के लिए 1 दिसंबर, 2021 से लागू होगा।
दूसरी पीढ़ी के स्रोतों से उत्पादित एथनॉल में अनाज आधारित स्रोत शामिल हैं। इनमें टूटे हुए बगैर इस्तेमाल वाले चावल, गेहूं और मक्का आते हैं। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने फैसला किया है कि इनकी कीमतों का निर्धारण तेल पीएसयू करें, जिस दाम पर वे इस किस्म का एथनॉल खरीदना चाहती हैं।
सीसीईए की बैठक के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘यह महत्त्वपूर्ण है कि अनाज आधारित एथनॉल की कीमतों का निर्धारण इस समय सिर्फ तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा किया जा रहा है।’
एथनॉल की नई कीमतें तय करने के अलावा सीसीईए ने 2014-15 से 2020-21 तक 7 कपास सीजन के लिए कॉटन कॉर्पोरेशन आफ इंडिया को 17,408.85 करोड़ रुपये ‘प्रतिबद्ध मूल्य समर्थन’ को भी मंजूरी दी है। 2014-15 से 2020-21 के बीच के कपास सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान एमएसपी के तहत दाम देने पर हुई हानि की भरपाई के लिए इस व्यय को मंजूरी दी गई है।
इसके अलावा कैबिनेट ने जूट वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य इस्तेमाल के आरक्षित मानकों को भी मंजूरी दे दी। अनिवार्य पैकेजिंग मानकों के तहत अनाज की 100 प्रतिशत और चीनी की 20 प्रतिशत पैकेजिंग जूट की बोरियों में की जाती है।
बहरहाल सीसीईए के फैसले के मुताबिक सी-हैवी मोलैसिस से उत्पादित एथनॉल की 2022-22 सत्र में नई कीमत 46.66 रुपये प्रति लीटर होगी, जो मौजूदा सत्र में 45.69 रुपये प्रति लीटर थी। इसकी कीमत करीब 2.12 प्रतिशत बढ़ी है। वहीं तेल विपणन कंपनियों के लिए 2021-22 सत्र के लिए बी हैवी मोलैसिस की कीमत 59.08 रुपये प्रति लीटर होगी, जिसमें मौजूदा सत्र की तुलना में 1.47 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है। बी हैवी मोलैसिस को इंटरमीडिएटरी मोलैसिस भी कहा जाता है।
गन्ने के रस से मिलने वाले एथनॉल का खरीद मूल्य या चीनी से मिलने वाले एथनॉल का मूल्य 63.45 रुपये प्रति लीटर होगा, जिसके दाम में मौजूदा सत्र की तुलना में 0.80 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
अब तक का जो मानक रहा है, उसी तरह से पहले से तय मूल्य पर एथनॉल खरीदने वाली ओएमसी को जीएसटी और ढुलाई की लागत का भुगतान भी करना होगा।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक बयान में कहा, ‘चीनी मिल के कुल कारोबार में डिस्टिलरीज का अंशदान 17 से 25 प्रतिशत होता है। ऐसे में एथनॉल के दाम में बढ़ोतरी समर्थन करने वाली नियामकीय व्यवस्था को जारी रखने का कदम है, जिससे एथनॉल मिश्रण बढ़ाया जा सके। हम उम्मीद करते हैं कि कीमत में वृद्धि की घोषणा के बाद एकीकृत चीनी मिलों का परिचालन मुनाफा 30 से 50 आधार अंक बढ़ेगा।’
भारत द्वारा 2025 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य पूरा करने के लिए भारत को 10-11 अरब लीटर एथनॉल की जरूरत होगी, जिनमें से 6 से 6.5 अरब लीटर गन्ने से आएगा, जबकि शेष अंशदान मक्का और अनाज आधारित स्रोतों का होगा।
इतनी मात्रा में खरीद के लिए 12 अरब लीटर एथनॉल की क्षमता स्थापित करनी होगी, जिसमें से 6.5 से 7 अरब लीटर गन्ने और शेष मक्का आधारित डिस्टिलरी से मिलेगा। इस समय एथनॉल की कुल उत्पादन क्षमता महज 6 अरब लीटर है, जिसमें से 5.25 अरब लीटर गन्ने से आता है और 0.75 अरब लीटर ही मक्का आधारित डिस्टिलरी से आता है।
इस साल सीसीआई नहीं खरीदेगा कपास
कपड़ा सचिव उपेंद्र प्रसाद सिंह ने कैबिनेट के फैसले के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुुए कहा कि संभवत) इस साल 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में सीसीआई को किसानों से बड़ी खरीद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा है।
सिंह ने कहा, ‘पिछले 2 साल से स्पिनिंग मिलें बंद थीं। इसकी वजह से खपत और कीमत कम थी। महामारी के कारण ऐसा हुआ। इसकी वजह से बहुत ज्यादा खरीद हुई। 225 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो की) की खरीद पिछले 2 साल में की गई है।’
सिंह ने कहा, ‘इस साल हम रिकॉर्ड खपत की उम्मीद कर रहे हैं। वैश्विक बाजार में भी उपलब्धता कम होगी क्योंकि चीन के शियाजिंग में अमेरिकी प्रतिबंध के कारण उत्पादन घटेगा। हमारा उत्पादन करीब 350-360 लाख गांठ के सामान्य स्तर पर रहेगा।’ उन्होंने कहा कि इस साल खरीदने की जरूरत नहीं होगी और सरकार को किसी नुकसान की उम्मीद नहीं है, फिलहाल हमारे हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
एमपीलैड बहाल करने का फैसला
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) को बहाल करने की मंजूरी दे दी। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर योजना को पिछले साल निलंबित कर दिया गया था। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए योजना को बहाल कर दिया गया है। यह योजना 2025-26 तक जारी रहेगी।
ठाकुर ने कहा कि 2021-22 की शेष अवधि के लिए एक किस्त में दो करोड़ रुपये प्रति सांसद की दर से राशि जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 2022-23 से 2025-26 तक प्रत्येक सांसद को पांच करोड़ रुपये प्रति वर्ष की दर से 2.5 करोड़ रुपये की राशि दो किस्तों में जारी की जाएगी।