सरकार ने रविवार को स्पष्ट किया कि भारत में खाद्य उत्पादों में कीटनाशकों के अवशेष की सीमाओं को लेकर मानदंड सबसे अधिक कठोर में से एक हैं। दरअसल कुछ रिपोर्टों में बताया गया कि भारत के नियामक जड़ी-बूटियों और मसालों में कीटनाशक के उच्चतम सीमा की अनुमति देते हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बयान में स्पष्ट किया, ‘विभिन्न खाद्य जिंसों में जोखिम आकलन के आधार पर कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) अलग-अलग तय की जाती है।’
भारत में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (सीआईबी ऐंड आरसी) के जरिये कीटनाशकों को नियमित करता है। सीआईबी ऐंड आरसी का गठन कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत कीटनाशकों के निर्माण, आयात, आवाजाही और भंडारण की देख रेख करने के लिए किया गया है।
सीआईबी ऐंड आरसी से मिले आंकडों का भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) का मूल्यांकन करता है। फिर जोखिम आकलन और भारत की जनसंख्या के विभिन्न आयु समूहों के खान-पान व स्वास्थ्य चिंताओं के बाद अधिकतम अवशेष सीमा की सिफारिश करता है।
सीआईबी ऐंड आरसी ने भारत में 295 से अधिक कीटनाशकों को पंजीकृत कर रखा है और इनमें से 139 मसालों के इस्तेमाल में पंजीकृत हैं। जोखिम आकलन डेटा के अनुसार एक कीटनाशक कई खाद्य जिंसों में अलग-अलग अधिकतम अवशेष सीमा के तहत पंजीकृत किया जा सकता है।
‘उदाहरण के तौर पर कई फसलों में मोनोक्रोटोफॉस के उपयोग की सीमा अलग-अलग है। जैसे चावल के लिए 0.3 मिलीग्राम / किलोग्राम, खट्टे फल के लिए 0.2 मिलीग्राम / किलोग्राम और कॉफी बीन्स के लिए 0.1 मिलीग्राम / किलोग्राम हैं।’
मसालों जैसे इलायची और मिर्ची के लिए अधिकतम अवशेष सीमा क्रमश 0.5 मिलीग्राम/किलोग्राम और 0.2 मिलीग्राम/किलोग्राम हैं। बयान के अनुसार, ‘जिनके लिए अधिकतम अवशेष सीमा तय नहीं की गई है, उनके लिए यह अवशेष की सीमा 0.01 मिलीग्राम/ किलोग्राम है।’