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क्या सोना-चांदी की कीमतों में और तेजी देखने को मिलेगी? सबकी नजर अमेरिकी फंडिंग बिल और डॉलर पर

अमेरिकी सरकारी शटडाउन, फेड के बयान और रुपये की कमजोरी के बीच सोने-चांदी की कीमतों में अस्थिरता और तेजी बनी रहेगी

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- October 05, 2025 | 4:19 PM IST

पिछले हफ्ते सोने और चांदी की कीमतों ने आसमान छू लिया। बाजार एक्सपर्ट्स का कहना है कि आने वाले दिनों में भी इनकी कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। अमेरिका में सरकारी फंडिंग बिल, मजदूरों से जुड़े आंकड़े और फेडरल रिजर्व के बयानों पर निवेशकों की नजर है। गुरुवार को फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक के मिनट्स भी बाजार को प्रभावित कर सकते हैं।

सोने की चमक बढ़ी, चांदी ने भी मारी बाजी

पिछले हफ्ते मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने के वायदा भाव में 3,222 रुपये की तेजी आई। यह 2.8% की बढ़ोतरी थी। शुक्रवार को सोना 1,18,113 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। यह इसकी अब तक की सबसे ऊंची कीमत 1,18,444 रुपये के करीब था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और अमेरिका में सरकारी कामकाज के आंशिक बंद होने की चिंता ने सोने को सहारा दिया। ज्योति प्रकाश, जो अल्फा मनी में मैनेजिंग पार्टनर हैं, बताते हैं कि सोना भले ही बड़े मुनाफे न दे, लेकिन इसकी स्थिरता निवेशकों को आकर्षित करती है।

चांदी ने भी शानदार प्रदर्शन किया। दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी पिछले हफ्ते 3,855 रुपये उछलकर 1,45,744 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। इसने शुक्रवार को 1,46,975 रुपये का रिकॉर्ड स्तर भी छुआ। पंकज सिंह, जो स्मार्टवेल्थ.एआई के संस्थापक हैं, कहते हैं कि चांदी की मांग न सिर्फ निवेश के लिए, बल्कि सौर पैनल, इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों में भी बढ़ रही है। यही वजह है कि चांदी की कीमतें लगातार चढ़ रही हैं।

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अमेरिका की उथल-पुथल और भारत में मांग

अमेरिका में सरकारी फंडिंग बिल पर सहमति न बनने से वहां सरकारी कामकाज ठप हो गया। यह सात साल में पहली बार हुआ है। इसकी वजह से गैर-कृषि रोजगार जैसे अहम आंकड़े जारी होने में देरी हो सकती है। इससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ी है और सोने-चांदी जैसे सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ गई है। रिया सिंह, जो एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज में रिसर्च एनालिस्ट हैं, बताती हैं कि इस साल सोने की कीमतें 46% से ज्यादा बढ़ी हैं। यह 1979 के बाद सबसे बड़ी सालाना बढ़ोतरी है।

भारत में भी सोने और चांदी की मांग तेज है। सितंबर में इनके आयात अगस्त की तुलना में लगभग दोगुने हो गए। त्योहारी और शादी का सीजन शुरू होने वाला है, जिससे मांग और बढ़ सकती है। प्रथमेश माल्या, जो एंजल वन में रिसर्च डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट हैं, कहते हैं कि अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना और भारत समेत कई देशों पर टैरिफ का असर भी कीमतों को बढ़ा रहा है।

वैश्विक बाजार में भी सोने की कीमतें चरम पर हैं। शुक्रवार को दिसंबर डिलीवरी वाला सोना 1.05% बढ़कर 3,908.90 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ। गुरुवार को इसने 3,923.30 डॉलर का रिकॉर्ड स्तर छुआ। चांदी भी पीछे नहीं रही। वैश्विक बाजार में दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी 3.44% बढ़कर 47.96 डॉलर प्रति औंस पर पहुंची। इसने 48.32 डॉलर का नया रिकॉर्ड बनाया।

अब आगे क्या?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने और चांदी की कीमतें अस्थिर रहेंगी, लेकिन इनमें तेजी का रुझान बना रहेगा। प्रणव मेर, जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज में वाइस प्रेसिडेंट, कहते हैं कि चांदी की कीमतें जल्द ही 1,50,000 से 1,70,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकती हैं। निवेशक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के गुरुवार के भाषण पर भी नजर रखेंगे। वैश्विक अनिश्चितताएं, कमजोर डॉलर और सुरक्षित निवेश की मांग सोने-चांदी को और चमक दे सकती है। हालांकि, बीच-बीच में मुनाफावसूली से कीमतों में हल्का उतार-चढ़ाव भी आ सकता है।

(PTI के इनपुट के साथ)

First Published : October 5, 2025 | 4:19 PM IST