असम के कामरूप जिले में कुछ दिन पहले बर्ड फ्लू के नए मामले सामने आने के बाद पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है।
हालांकि जानकारों की मानें तो इन उत्पादों की घरेलू मांग इस घटना से शायद ही प्रभावित हो। असम सरकार ने भी पुष्टि की है कि बर्ड फ्लू फैलाने वाले एच-5एन-1 नामक विषाणु राज्य के कामरूप जिले में हाजो नामक जगह में पाए गए हैं। यह जगह गुवाहाटी से करीब 45 किलोमीटर दूर है।
खबर है कि राज्य सरकार ने इसके बाद शुक्रवार रात से ही मुर्गियां मारने का काम शुरू कर दिया। गौरतलब है कि पिछले दिनों इस इलाके में करीब 300 मुर्गियों की अज्ञात कारणों से मौत हो गई थी।
मौत की वजह जानने के लिए मरे हुए कुछ पक्षियों को भोपाल स्थित हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैबोरेटरी (एचएसएडीएल) में जांच के लिए भेजा गया।
जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि इनके मरने की वजह बर्ड फ्लू के विषाणु हैं। इस तरह फरवरी 2006 के बाद देश में बर्ड फ्लू विषाणुओं के फैलने की यह पांचवी बड़ी घटना है।
पोल्ट्री उद्योग का अनुमान है कि इससे पहले के 4 हमलों से कुल 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
फिलहाल देश का संगठित पोल्ट्री उद्योग 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के होने का अनुमान है। बहरहाल मालूम हो कि फरवरी 2006 में महाराष्ट्र के नवापुर में इस बीमारी ने पहली बार धमक दी थी।
उसके बाद महाराष्ट्र के जलगांव और मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में मार्च-अप्रैल 2006 में बर्ड फ्लू ने दस्तक दी।
तीसरी बार इंफाल के चिंगमेरांग नामक जगह पर जुलाई 2007 में इस खतरनाक बीमारी ने पांव पसारे। चौथी बार मई 2008 में पश्चिम बंगाल के 15 और त्रिपुरा के 2 जिलों में बर्ड फ्लू का प्रकोप दिखा।
पश्चिम बंगाल में बर्ड फ्लू पर सफलतापूर्वक नियंत्रण कर लेने के बाद अभी 4 नवंबर को ही भारत ने खुद को बर्ड फ्लू रहित देश घोषित किया था।
इस तरह इस घोषणा के महज तीन हफ्ते के भीतर ही एक बार फिर बर्ड फ्लू विषाणु का पांव पसारना देश के पोल्ट्री उद्योग के लिए घातक है।
अमेरिकी खाद्यान्न परिषद (यूएसजीसी) में भारत के प्रतिनिधि और जाने-माने पोल्ट्री विशेषज्ञ अमित सचदेव ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि बर्ड फ्लू के घातक विषाणु के बार-बार पाए जाने से अपना निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहे देश के पोल्ट्री उद्योग पर तगड़ी मार पड़ेगी।
उद्योग कोशिश कर रहा था कि मध्य पूर्व सहित भूटान जैसे देशों में पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात बढ़ाया जाए। उम्मीद है कि एक बार फिर से ये देश भारत से इन उत्पादों के आयात पर रोक लगा देगें। दूसरे आयातक देशों के बारे में भी उम्मीद है कि बहुत जल्द पोल्ट्री उत्पादों के आयात पर रोक लगा देंगे।
हालांकि सचदेव ने बताया कि इस घटना से घरेलू स्तर पर पोल्ट्री उत्पादों की खपत में कोई खास कमी नहीं आएगी। कमी होगी भी तो उन इलाकों में जहां मुर्गियों की ये बीमारी पाई जा रही है।
उनके मुताबिक, इसकी वजह ज्यादातर उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी होना कि अच्छे तरीके से धोए और पकाए गए पोल्ट्री उत्पादों (अंडे और मांस) का सेवन सुरक्षित होता है।
पशु विशेषज्ञों के मुताबिक, एच-5 एन-1 इंफ्लुएंजा के विषाणु मनुष्यों के लिए तब तक घातक साबित नहीं होते जब तक कि ये संक्रमित मनुष्यों से दूसरे मनुष्यों में नहीं जाता। यदि इसका स्तर बढ़कर संक्रामक हो गया तब तो बर्ड फ्लू के विषाणु खासे खतरनाक हो जाते हैं।
भारत में अब तक ऐसी नौबत नहीं है। हालांकि कई देशों में आदमी से आदमी में इसके विषाणुओं का फैलाव होने से काफी नुकसान हो चुका है।