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नए रिकॉर्ड बनाएगा खाद्यान्न उत्पादन!

Last Updated- December 10, 2022 | 1:57 AM IST

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि चालू रबी सत्र में अनाज उत्पादन नए रिकॉर्ड बना सकता है। पिछले साल भी अनाज उत्पादन ने रिक ॉर्ड बनाया था और कुल उत्पादन 1098.2 लाख टन हुआ। गेहूं, दालों, और तिलहन- खासकर सरसों का उत्पादन बहुत ज्यादा हुआ, जिसकी वजह से रिकॉर्ड बना।
इस साल गेहूं के बेहतरीन उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है, रबी की जो फसल इस साल अप्रैल में तैयार होने वाली है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निदेशक मंगला राय का कहना है कि गेहूं का उत्पादन पिछले साल के 785.7 लाख टन के रिकार्ड उत्पादन के करीब या उससे भी ज्यादा हो सकता है, जो रबी की प्रमुख फसल है।
कृषि मंत्रालय द्वारा 12 फरवरी को दिए गए प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक गेहूं का उत्पादन 777.8 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 1 प्रतिशत कम है। लेकिन राय का कहना है कि इस अनुमान को संशोधित कर बढ़ाया भी सकता है।
बहरहाल यह सब कुछ अगले कुछ सप्ताह के तापमान पर निर्भर करेगा। दिसंबर के पहले तीन सप्ताह के दौरान तापमान 2 से 5 डिग्री के बीच रहा, जो सामान्य से अधिक था। मध्य और द्वीपीय इलाकों में इसे फसल के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
लेकिन उत्तरी रबी बेल्ट में, यह कमोवेश सामान्य बना रहा। राय ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पिछले सप्ताह न्यूनतम तापमान में आई गिरावट, खासकर पंजाब और हरियाणा में, खड़ी फसलों के लिए बहुत लाभदायक रहेगी।’
कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले सप्ताह संसद में दिए गए वक्तव्य में संकेत दिया था कि इस साल गेहूं का उत्पादन उम्मीद से बहुत बेहतर हो सकता है। गेहूं की नई फसल आने पर अधिकृत सरकारी गोदामों में 130 लाख टन गेहूं जमा हो सकता है, जबकि इसकी सामान्य सीमा 40 लाख टन की है।
अप्रैल और मई माह के दौरान गेहूं का स्टॉक 200-220 लाख टन के बीच हो सकता है, जिसकी वजह से कुल स्टॉक 33 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सरकार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए केवल 120 लाख टन गेहूं की जरूरत होती है।
आईसीएआर के प्रमुख राय ने यह भी कहा कि सरसों की फसल के भी बेहतर रहने का अनुमान है, जो रबी की प्रमुख तिलहन फसल है। कृ षि मंत्रालय ने पहले ही अनुमान लगाया है कि पिछले साल की तुलना में इसके उत्पादन में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है। पिछले साल कुल 58.3 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था, जबकि इस साल 69.8 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।
तिलहन का वास्तविक उत्पादन अनुमान से बहुत ज्यादा हो सकता है, क्योंकि मुख्य तिलहन उत्पादक राज्यों, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में इस साल 10 प्रतिशत ज्यादा क्षेत्रफल में बुआई हुई है।
राजस्थान की अगेती तिलहन की फसल तैयार भी हो चुकी है। दक्षिणी राज्यों में तिलहन की फसलें भी बेहतर हैं। बेहतरीन मौसम और उत्तर पश्चिमी मानसून के अनुकूल रहने की वजह से बुआई ठीक ठाक हुई है।
रबी की प्रमुख दालों में खासकर चने की उपज इस साल करीब 13 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान है, क्योंकि इसकी बुआई के क्षेत्रफल में विस्तार हुआ है। इसकी फसल में इस साल कोई बड़ी बीमारी या नुकसान भी नहीं हुआ है।
मंत्रालय का अनुमान है कि इस साल दलहन का उत्पादन 94.3 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल के 83.6 लाख टन से 12.8 प्रतिशत ज्यादा हौ। केवल चने का उत्पादन ही 65.4 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल के 57.5 लाख टन से 13.74 प्रतिशत ज्यादा है।
राय ने कहा कि इस साल देश में आलू की पैदावार भी बहुत ज्यादा होने का अनुमान था, लेकिन बैक्टीरिया वाले ब्लाइट नाम की बीमारी की वजह से उत्तर प्रदेश और बिहार की फसलों पर बुरा असर पड़ा। 
कृषि के विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल ठंड में बारिश कम हुई। एक जनवरी और 11 फरवरी के बीच पूरे देश में सामान्य से 38 प्रतिशत कम बारिश हुई। बहरहाल, इससे रबी की फसल पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि फसलों वाले इलाकों में बारिश ठीक ठाक हुई है।

First Published - February 22, 2009 | 11:51 PM IST

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